कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार मिजोरम के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को वार्ताकारों में शामिल नहीं करेगी। सरकार की सारी रणनीति सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट और इस पर शीर्ष अदालत के रुख पर टिकी हुई है। यह कमेटी इसी महीने शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
दरअसल मलिक किसान आंदोलन पर पिछले हफ्ते अचानक सरकार पर हमलावर हो गए थे। आंदोलन लंबा खिंचने की मलिक ने आलोचना की थी। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग मान कर आंदोलन को खत्म कराने का सुझाव दिया था। इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार से वार्ताकारों की टीम में मलिक को शामिल करने की मांग की थी।
सरकार का आंदोलन खत्म कराने के लिए नए सिरे से पहल करने की कोई योजना नहीं है। इससे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कृषि कानूनों के मुद्दा बनने का खतरा है। सरकार की सारी रणनीति कमेटी रिपोर्ट और शीर्ष अदालत के रुख पर निर्भर है। एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक अगली रणनीति सुप्रीम कोर्ट के रुख पर ही निर्भर होगी।
सरकार राज्यपाल मलिक को तवज्जो देने के मूड में नहीं है। एक मंत्री ने बताया कि पूरे मामले में मलिक अपनी अंगुली कटा कर शहीद बनना चाहते हैं। सरकार उन्हें शहीद होने का कोई मौका नहीं देना चाहती। उन्होंने कहा कि आंदोलन के शुरुआती दौर में पूरे परिदृश्य से बाहर रहने वाले मलिक यदि शहीद नहीं होना चाहते हैं, तो उन्हें शुरुआती दौर में ही अपनी भूमिका निभानी चाहिए थी।