भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम चढूनी शुक्रवार को बहादुरगढ़ बाईपास पर किसानों के बीच पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आंदोलन की चूड़ियां कसने की जरूरत तो है लेकिन फैसला सबकी सहमति से होता है। चढूनी शुक्रवार को बहादुरगढ़ बाईपास पर किसानों की बैठक लेने आए थे।
उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा की बैठक में कड़ा फैसला नहीं लिया गया। अब 9 की बैठक पर निगाह है। इस दौरान राकेश टिकैत के संसद मार्च के बयान पर चढूनी ने कहा कि कहने और करने में बड़ा अंतर होता है। भाषण में कही बात अलग होती है और मीडिया को दिया जाने वाला बयान अलग। भाषण तो लोगों को एक मोड़ देने के लिए कहते हैं, क्योंकि लोग भी चाहते हैं कि वे ऐसी भाषा सुने, जिससे वे एग्रेसिव हो जाएं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली जाना अभी तय नहीं लेकिन कुछ न कुछ तो करना ही होगा। सरकार को परेशान करने के लिए क्या किया जाए, अब यही सोचना है। सरकार से वार्ता अभी तय नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूंजीपतियों के यहां बिक चुकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के एमएसपी पर कानून बनाने की बात पर चढूनी ने कहा कि कानून लाएंगे तो अच्छा है लेकिन अगर वोट के लिए कह रहे हैं तो गलत है।