1 फरवरी को पेश होने वाले बजट 2021-22 में सरकार के कृषि कर्ज का लक्ष्य लगभग 19 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ये कदम उठा सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 15 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज लक्ष्य निर्धारित किया है। सूत्रों ने कहा कि सरकार हर साल कृषि क्षेत्र के लिए कर्ज लक्ष्य बढ़ा रही है और इस बार भी लक्ष्य 2021-22 तक बढ़कर 19 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 की घोषणा करते हुए कहा था कि गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी) और सहकारिता कृषि क्रेडिट स्पेस में सक्रिय हैं। नाबार्ड पुनर्वित्त योजना का और विस्तार किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा था कि वर्ष 2020-21 के लिए कृषि कर्ज लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। इसी तरह, 2016-17 के वित्तीय वर्ष में 10.66 लाख करोड़ रुपये के फसली कर्ज का वितरण किया गया, जो 9 लाख करोड़ रुपये के कर्ज लक्ष्य से अधिक था।
मालूम हो कि उच्च कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिए क्रेडिट एक महत्वपूर्ण साधन है। सूत्रों ने बताया कि संस्थागत कर्ज से किसानों को गैर-संस्थागत स्रोतों से कर्ज लेने में मदद मिलेगी, जहां वे ब्याज की दरों पर उधार लेने के लिए मजबूर हैं। आम तौर पर कृषि कर्ज पर 9 प्रतिशत का ब्याज दर देना होता है। हालांकि, सरकार सस्ती दर पर अल्पकालिक कृषि कर्ज उपलब्ध कराने और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद के लिए ब्याज सबवेंशन दे रही है।
सरकार 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान दे रही है ताकि किसानों को 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की प्रभावी दर पर 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक कर्ज मिल सके। किसानों को नियत तारीख के भीतर कर्ज के शीघ्र पुनर्भुगतान के लिए 3 प्रतिशत का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4 प्रतिशत हो गया है।
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