दुनियाभर में ऐसे कई अनजाने पहलू हैं, जिनकी जानकारी काफी कम लोगों को होगी है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा ही पहलू जो आपके बीच रहते हुए भी आपसे अनदेखा और छुपा हुआ रह गया। जी हां, आज हम आपके साथ शेयर करेंगे किन्नरों से जुड़े ऐसे ही सीक्रेट जिनके बारे में आपने न तो सुना होगा और न ही देखा होगा।
भारत में किन्नरों का इतिहास चार हजार साल से भी पुराना है, इसके बावजूद आज तक उन्हें सोसाइटी में बराबरी का दर्जा नहीं मिल पाया। हम वास्तव में आज तक उनसे जुड़े पहलूओं को ही नहीं जान पाए हैं जो सीधी उनकी जिंदगी से जुड़े है। जैसे उनकी परम्पराएं हिन्दू धर्म की होती है लेकिन उनके गुरु मुस्लिम होते हैं। देखा जाए तो भारत में रहने वाले किन्नरों की ज्यादातर परम्पराएं हिन्दू धर्म के मुताबिक निभाई जाती है, लेकिन जहां बात किन्नर गुरु का आती है तो वे मुस्लिम होते हैं। ऐसे तमाम अनजाने पहलू हैं, जिनकी जानकारी काफी कम लोगों को होगी है।
क्या आप ये जानते हैं कि नए किन्नरों का उनकी टोली में जोरदार स्वागत होता है..? जी हां, किन्नर समाज में नए किन्नरों का स्वागत एक उत्सव के रूप में करते हैं। ऐसा भव्य स्वागत शायद ही आपने देखा हो। फंक्शन में नाच-गाना तो होता ही है साथ ही साथ अच्छी-खासी दावत का भी बंदोबस्त किया जाता है।
ये बात तो आप जानते ही नहीं होंगे कि किन्नरों की भी शादी होती है। ये अनोखी शादी साल में सिर्फ एक दिन के लिए होती है।वो भी उनके भगवान के साथ। जी हां, इंसान की जगह किन्नरों की शादी उनके भगवान अरावन से होती है। किन्नर समाज में यह शादी सिर्फ एक दिन तक ही मान्य होती है।
देखने से यूं तो किन्नर बेहद खुशमिजाज नजर आते हैं। लेकिन एक सच यह भी है कि वे अपने इस जीवन के अलावा अगले जन्म में कभी भी किन्नर नहीं बनना चाहते।
इसके लिए किन्नर बरुचा माता की पूजा कर उनसे माफी भी मांगते है। वे माता से मिन्नतें करते हैं कि अगले जन्म में उन्हें किन्नर समाज में न भेजे। इस बात पर आप यकीन करें या न करें हर किन्नर का कोई एक गुरु जरूर होता है, जिन्हें अपने शिष्य के बारे में सारी जानकारी होती है। कहते हैं कि उन्हें यहां तक पता होता है कि उसके शिष्य की मौत कब होगी। इस बात में कितनी सच्चाई है यह नहीं कहा जा सकता।
शिष्य की मौत का राज उस गुरु को ही पता होगा जिसका जन्म खुद किन्नर की तरह हुआ हो।
किन्नरों का एनुअल फेस्टिवल के बारे में भी रोचक जानकारी मिलती है। कहते हैं साल में एक बार सारे किन्नर फेस्टिवल के लिए जुटते हैं।
यह स्थान मद्रास से 200 मील दूर कूवगम गांव में होता है, जहां पूरे भारत के किन्नर जमा होते हैं।
यह बात कितने लोग जानते होंगे कि जिन्हें समाज ने तवज्जो नहीं दी वह एक मान्यता के अनुसार, भगवान् ब्रम्हा की परछाई समझे जाते हैं।