कारगिल के युद्ध में करीब 19 वर्ष पहले शहीद लांस नायक बचन सिंह के गांव को उनके पुत्र ने गौरवांवित किया है। स्वर्गीय बचन सिंह का पुत्र हितेश कुमार सेना में अधिकारी बन गया है। हितेश का चयन भी उसी द्वितीय राजपूताना राइफल रेजीमेंट में हुआ है, जिसमें उनके पिता थे। कारगिल युद्ध 1999 में शहीद लांस नायक बचन सिंह के बेटे लेफ्टिनेंट हितेश कुमार ने कल मुजफ्फरनगर पहुंचने के बाद अपनी मां के साथ जाकर अपने पिता की प्रतिमा पर पहुंचकर माल्यार्पण किया। 1999 में भारत व पाकिस्तान के बीच जब कारगिल में विख्यात जंग हुई थी, उस समय मुजफ्फरनगर के गांव पचैंडा कलां के राजपूताना रायफल में तैनात लांसनायक बचन सिंह तोलोलिंग की चोटी पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। उस समय लेफ्टिनेंट हितेश कुमार की उम्र सिर्फ पांच वर्ष की थी। छोटी सी उम्र में भी अपने जुडवां भाई के साथ शहीद पिता के पदचिन्हों का ही अनुसरण किया। हितेश कुमार ने भी सेना में भर्ती होकर देशसेवा का संकल्प लिया। हितेश कुमार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। दो दिन पहले देहरादून की नेशनल डिफेंस एकेडमी में आयोजित पासिंग आउट परेड में हितेश कुमार को लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। हितेश को भी उनके पिता शहीद बचन सिंह की बटालियन में ही स्थान मिला है। लेफ्टिनेंट बने हितेश बताते हैं कि पिता की तरह ही वह भी देशसेवा का जज्बा रखते हैं। हितेश ने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चहल (हिमाचल प्रदेश) से हाईस्कूल, राष्ट्रीय एकेडमी बलगाम कर्नाटक से इंटरमीडिएट किया है, जबकि श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली से बीकॉम ऑनर्स किया है। वह कहते हैं कि मां कामेश के संघर्ष और दुआओं के चलते ही यह कामयाबी मिली है। मां के जीवट से लेफ्टिनेंट बना हितेश जीवट से भरी मां ने बेटे को लेफ्टिनेंट बना कर कारगिल शहीद पति को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। शहीद वचन सिंह की शहादत के वक्त उसके जुड़वा बेटों की उम्र साढ़े पांच साल थी। जिंदगी की विषम परिस्थितियों में वीर सैनिक की पत्नी ने जो दृढ़ संकल्प लिया था, उसे आईएमए की पासिंग आउट परेड में पूरा होता देख लिया। लेफ्टिनेंट हितेश उसी राजपूताना रायफल्स में कमांडिंग अफसर बने है, जिस बटालियन में उनके पिता लांस नायक थे। नौ जून की तारीख शहीद वचन सिंह की पत्नी कामेश बाला के दुख और सुख से जुड़ गई है। कारगिल युद्ध में बेटले ऑफ तोलोलिंग चोटी पर 13 जून 1999 को उनके पति ने देश की रक्षा को प्राणों की आहुति दी थी। 19 साल बाद नौ जून को बेटा हितेश सेना में लेफ्टिनेंट बन गया है। आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड में गर्व से पुत्र को देख वो भावुक हो गई। आंखों से आंसू बहने लगे, तो हितेश कुमार ने मां को उनके हौसले के लिए सेल्यूट किया। मुजफ्फरनगर की आदर्श कालोनी में घर पर खुशियों का माहौल है। कामेश बाला ने न केवल साढ़े पांच साल के जुड़वा बेटों हितेश और हेमंत को पढ़ाने का लक्ष्य बनाया, बल्कि संकल्प के मुताबिक आर्मी में अफसर बनाने का सपना भी पूरा किया। मां ने बचपन से ही हितेश कुमार को अपना सपना बता दिया था। हितेश बताते हैं कि इंटर के बाद एनडीए की परीक्षा दी। लिखित एग्जाम में पास हो गए, मगर इंटरव्यू को क्रेक नहीं कर पाए। वर्ष 2016 सीडीएस में कामयाबी मिली। लेफ्टिनेंट का श्रेय मां को है। पिता वचन सिंह की राजपूताना रायफल्स के कमांडिंग अफसर एमबी रविंद्रचंद्रन से मिलने की इच्छा थी, मगर दुर्भाग्यवश उनकी हार्टअटैक से मौत हो गई। क्रातिकारी चंद्रशेखर आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, परमवीर चक्र विजेता शैतान सिंह और गुरुवचन सिंह के व्यक्तित्व से उन्हें प्रेरणा मिलती है।

कारगिल शहीद का बेटा हितेश कुमार 19 वर्ष बाद अपने पिता की ही बटालियन में अधिकारी

कारगिल के युद्ध में करीब 19 वर्ष पहले शहीद लांस नायक बचन सिंह के गांव को उनके पुत्र ने गौरवांवित किया है। स्वर्गीय बचन सिंह का पुत्र हितेश कुमार सेना में अधिकारी बन गया है। हितेश का चयन भी उसी द्वितीय राजपूताना राइफल रेजीमेंट में हुआ है, जिसमें उनके पिता थे।कारगिल के युद्ध में करीब 19 वर्ष पहले शहीद लांस नायक बचन सिंह के गांव को उनके पुत्र ने गौरवांवित किया है। स्वर्गीय बचन सिंह का पुत्र हितेश कुमार सेना में अधिकारी बन गया है। हितेश का चयन भी उसी द्वितीय राजपूताना राइफल रेजीमेंट में हुआ है, जिसमें उनके पिता थे।  कारगिल युद्ध 1999 में शहीद लांस नायक बचन सिंह के बेटे लेफ्टिनेंट हितेश कुमार ने कल मुजफ्फरनगर पहुंचने के बाद अपनी मां के साथ जाकर अपने पिता की प्रतिमा पर पहुंचकर माल्यार्पण किया। 1999 में भारत व पाकिस्तान के बीच जब कारगिल में विख्यात जंग हुई थी, उस समय मुजफ्फरनगर के गांव पचैंडा कलां के राजपूताना रायफल में तैनात लांसनायक बचन सिंह तोलोलिंग की चोटी पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। उस समय लेफ्टिनेंट हितेश कुमार की उम्र सिर्फ पांच वर्ष की थी। छोटी सी उम्र में भी अपने जुडवां भाई के साथ शहीद पिता के पदचिन्हों का ही अनुसरण किया। हितेश कुमार ने भी सेना में भर्ती होकर देशसेवा का संकल्प लिया।  हितेश कुमार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। दो दिन पहले देहरादून की नेशनल डिफेंस एकेडमी में आयोजित पासिंग आउट परेड में हितेश कुमार को लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। हितेश को भी उनके पिता शहीद बचन सिंह की बटालियन में ही स्थान मिला है।  लेफ्टिनेंट बने हितेश बताते हैं कि पिता की तरह ही वह भी देशसेवा का जज्बा रखते हैं। हितेश ने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चहल (हिमाचल प्रदेश) से हाईस्कूल, राष्ट्रीय एकेडमी बलगाम कर्नाटक से इंटरमीडिएट किया है, जबकि श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली से बीकॉम ऑनर्स किया है। वह कहते हैं कि मां कामेश के संघर्ष और दुआओं के चलते ही यह कामयाबी मिली है।  मां के जीवट से लेफ्टिनेंट बना हितेश  जीवट से भरी मां ने बेटे को लेफ्टिनेंट बना कर कारगिल शहीद पति को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। शहीद वचन सिंह की शहादत के वक्त उसके जुड़वा बेटों की उम्र साढ़े पांच साल थी। जिंदगी की विषम परिस्थितियों में वीर सैनिक की पत्नी ने जो दृढ़ संकल्प लिया था, उसे आईएमए की पासिंग आउट परेड में पूरा होता देख लिया। लेफ्टिनेंट हितेश उसी राजपूताना रायफल्स में कमांडिंग अफसर बने है, जिस बटालियन में उनके पिता लांस नायक थे।  नौ जून की तारीख शहीद वचन सिंह की पत्नी कामेश बाला के दुख और सुख से जुड़ गई है। कारगिल युद्ध में बेटले ऑफ तोलोलिंग चोटी पर 13 जून 1999 को उनके पति ने देश की रक्षा को प्राणों की आहुति दी थी। 19 साल बाद नौ जून को बेटा हितेश सेना में लेफ्टिनेंट बन गया है। आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड में गर्व से पुत्र को देख वो भावुक हो गई। आंखों से आंसू बहने लगे, तो हितेश कुमार ने मां को उनके हौसले के लिए सेल्यूट किया।  मुजफ्फरनगर की आदर्श कालोनी में घर पर खुशियों का माहौल है। कामेश बाला ने न केवल साढ़े पांच साल के जुड़वा बेटों हितेश और हेमंत को पढ़ाने का लक्ष्य बनाया, बल्कि संकल्प के मुताबिक आर्मी में अफसर बनाने का सपना भी पूरा किया। मां ने बचपन से ही हितेश कुमार को अपना सपना बता दिया था। हितेश बताते हैं कि इंटर के बाद एनडीए की परीक्षा दी।  लिखित एग्जाम में पास हो गए, मगर इंटरव्यू को क्रेक नहीं कर पाए। वर्ष 2016 सीडीएस में कामयाबी मिली। लेफ्टिनेंट का श्रेय मां को है। पिता वचन सिंह की राजपूताना रायफल्स के कमांडिंग अफसर एमबी रविंद्रचंद्रन से मिलने की इच्छा थी, मगर दुर्भाग्यवश उनकी हार्टअटैक से मौत हो गई। क्रातिकारी चंद्रशेखर आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, परमवीर चक्र विजेता शैतान सिंह और गुरुवचन सिंह के व्यक्तित्व से उन्हें प्रेरणा मिलती है।

कारगिल युद्ध 1999 में शहीद लांस नायक बचन सिंह के बेटे लेफ्टिनेंट हितेश कुमार ने कल मुजफ्फरनगर पहुंचने के बाद अपनी मां के साथ जाकर अपने पिता की प्रतिमा पर पहुंचकर माल्यार्पण किया। 1999 में भारत व पाकिस्तान के बीच जब कारगिल में विख्यात जंग हुई थी, उस समय मुजफ्फरनगर के गांव पचैंडा कलां के राजपूताना रायफल में तैनात लांसनायक बचन सिंह तोलोलिंग की चोटी पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। उस समय लेफ्टिनेंट हितेश कुमार की उम्र सिर्फ पांच वर्ष की थी। छोटी सी उम्र में भी अपने जुडवां भाई के साथ शहीद पिता के पदचिन्हों का ही अनुसरण किया। हितेश कुमार ने भी सेना में भर्ती होकर देशसेवा का संकल्प लिया।

हितेश कुमार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। दो दिन पहले देहरादून की नेशनल डिफेंस एकेडमी में आयोजित पासिंग आउट परेड में हितेश कुमार को लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। हितेश को भी उनके पिता शहीद बचन सिंह की बटालियन में ही स्थान मिला है।

 

लेफ्टिनेंट बने हितेश बताते हैं कि पिता की तरह ही वह भी देशसेवा का जज्बा रखते हैं। हितेश ने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चहल (हिमाचल प्रदेश) से हाईस्कूल, राष्ट्रीय एकेडमी बलगाम कर्नाटक से इंटरमीडिएट किया है, जबकि श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली से बीकॉम ऑनर्स किया है। वह कहते हैं कि मां कामेश के संघर्ष और दुआओं के चलते ही यह कामयाबी मिली है।

 

मां के जीवट से लेफ्टिनेंट बना हितेश

जीवट से भरी मां ने बेटे को लेफ्टिनेंट बना कर कारगिल शहीद पति को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। शहीद वचन सिंह की शहादत के वक्त उसके जुड़वा बेटों की उम्र साढ़े पांच साल थी। जिंदगी की विषम परिस्थितियों में वीर सैनिक की पत्नी ने जो दृढ़ संकल्प लिया था, उसे आईएमए की पासिंग आउट परेड में पूरा होता देख लिया। लेफ्टिनेंट हितेश उसी राजपूताना रायफल्स में कमांडिंग अफसर बने है, जिस बटालियन में उनके पिता लांस नायक थे।

 

नौ जून की तारीख शहीद वचन सिंह की पत्नी कामेश बाला के दुख और सुख से जुड़ गई है। कारगिल युद्ध में बेटले ऑफ तोलोलिंग चोटी पर 13 जून 1999 को उनके पति ने देश की रक्षा को प्राणों की आहुति दी थी। 19 साल बाद नौ जून को बेटा हितेश सेना में लेफ्टिनेंट बन गया है। आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड में गर्व से पुत्र को देख वो भावुक हो गई। आंखों से आंसू बहने लगे, तो हितेश कुमार ने मां को उनके हौसले के लिए सेल्यूट किया।

 

मुजफ्फरनगर की आदर्श कालोनी में घर पर खुशियों का माहौल है। कामेश बाला ने न केवल साढ़े पांच साल के जुड़वा बेटों हितेश और हेमंत को पढ़ाने का लक्ष्य बनाया, बल्कि संकल्प के मुताबिक आर्मी में अफसर बनाने का सपना भी पूरा किया। मां ने बचपन से ही हितेश कुमार को अपना सपना बता दिया था। हितेश बताते हैं कि इंटर के बाद एनडीए की परीक्षा दी।

 

लिखित एग्जाम में पास हो गए, मगर इंटरव्यू को क्रेक नहीं कर पाए। वर्ष 2016 सीडीएस में कामयाबी मिली। लेफ्टिनेंट का श्रेय मां को है। पिता वचन सिंह की राजपूताना रायफल्स के कमांडिंग अफसर एमबी रविंद्रचंद्रन से मिलने की इच्छा थी, मगर दुर्भाग्यवश उनकी हार्टअटैक से मौत हो गई। क्रातिकारी चंद्रशेखर आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, परमवीर चक्र विजेता शैतान सिंह और गुरुवचन सिंह के व्यक्तित्व से उन्हें प्रेरणा मिलती है।

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