सावन के महीने में कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2024) व्रत किया जाता है। सनातन शास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि पर श्री हरि के संग भगवान शालिग्राम (Lord Shaligram) की पूजा-अर्चना करने से साधक को जीवन में अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं। साथ ही हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं भगवान शालिग्राम के बारे में विस्तार से।
सनातन धर्म में एकादशी को महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2024) व्रत किया जाता है। पंचाग के अनुसार, इस वर्ष कामिका एकादशी 31 जुलाई को मनाई जाएगी।
कौन हैं शालिग्राम? (Who is Shaligram?)
धार्मिक मान्यता है कि भगवान शालिग्राम को भगवान विष्णु का विग्रह स्वरूप माना जाता है। इनकी उपासना काले रंग के गोल चिकने पत्थर के रूप में की जाती है। यह पत्थर नेपाल के गंडक नदी के तल में पाए जाते हैं। सालग्राम में जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है। ऐसा बताया जाता है कि इसी जगह के नाम से प्रभु का नाम शालिग्राम पड़ा। जिस घर में भगवान शालिग्राम विराजमान होते हैं, वहां सदैव सुख-शांति बनी रहती है और परिवार के लोगों को जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
प्राप्त होगी सुख- शांति
कामिका एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम की पूजा (Lord Shaligram puja Vidhi) के दौरान उन्हें गोपी चंदन का लेप लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से श्री हरि प्रसन्न होते हैं और जातक को जीवन में सुख- शांति की प्राप्ति होती है।
नकारात्मक ऊर्जा होगी दूर
मान्यता है कि कामिका एकादशी पर भगवान शालिग्राम को पंचामृत को भोग लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है। पंचामृत में तुलसी के पत्ते जरूर डालें। बिना तुलसी दल के प्रभु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
घर में भगवान शालिग्राम को विराजमान करने के लिए कई नियमों का पालन करना चाहिए। परिवार के सदस्यों को मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए। घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। मान्यता है कि घर में एक से ज्यादा भगवान शालिग्राम को विराजमान करने से वास्तु दोष का सामना करना पड़ सकता है।