संघ प्रमुख मोहन भागवत ने केशव भवन प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भागवत शहर में पांच दिन प्रवास करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन मधुकर भागवत ने सोमवार को कारवालोनगर में नवनिर्मित प्रदेश के पहले संघ भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता मौजूद रहे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए समाज को कार्य करना होगा। भारत हिंदू समाज का घर है। संघ जीवन है। संघ का कार्य सबके जीवन में सुचिता और करुणा लाना है। भागवत ने बाबा साहब को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदू समाज को विषमता से बाहर लाने का काम किया।
भागवत पांच दिन शहर में ही प्रवास करेंगे। अपनी इस यात्रा के दौरान वह क्षेत्र और कानपुर प्रांत से जुड़े प्रचारकों के साथ बैठक कर अक्तूबर में होने वाले संघ के शताब्दी वर्ष की कार्ययोजना तैयार करेंगे। इसे पूरे देश में अभियान के तौर पर लागू किया जाएगा।
प्रचारकों के साथ करेंगे बैठक
शाम को वह क्षेत्र, प्रांत, विभाग, जिला प्रचारकों के साथ बैठक कर सेवा, समरसता, पर्यावरण के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर भी चर्चा करेंगे। इसमें घर-घर तुलसी वितरण, प्लास्टिक के प्रयोग से होने वाली हानियों पर भी बातचीत की जाएगी। वह 15 तथा 16 अप्रैल को संघ के छह आयाम में से एक सेवा विभाग के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद 15 को ही कोयला नगर और 16 को निराला नगर की शाखा में शामिल होने जाएंगे। 17 को संघ की प्रांत कार्यकारिणी के साथ संघ शताब्दी वर्ष में संघ पंच परिवर्तन को लेकर चर्चा की जाएगी।
राजस्थानी लाल पत्थरों से बना है संघ भवन
नवनिर्मित चार मंजिल संघ भवन में राजस्थान से लाए गए लाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है। भवन की पेंटिंग गोबर मिश्रित विशेष पेंट से कराई गई है। भवन का मुख्य द्वार और चारदीवारी भी लाल पत्थर से बनाई गई है। भवन के बेसमेंट में पार्किंग के अलावा एक बड़ी लाइब्रेरी की स्थापना भी की गई है।
यहां पर सभी हिंदू धर्मों, इतिहास को बताने वाले साहित्य और ज्ञानवर्धक पुस्तकें रखी गई हैं। भागवत ऐसे पहले सर संघ चालक हैं, जो उत्तर प्रदेश के किसी संघ भवन में पहली बार प्रवास कर रहे हैं। अभी तक जब भी उनका कानपुर या प्रदेश के किसी भी जिले में आना हुआ है, उनका प्रवास संघ कार्यालयों की जगह किसी अन्य स्थान पर ही रहा है। अभी तक प्रदेश में संघ की अपनी कोई ऐसी जगह नहीं थी।