मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछली सरकारों में किसानों और गरीबों का हित सिर्फ नारों एवं घोषणाओं तक सीमित था। कांग्रेस, सपा और बसपा की सरकारों के लिए मत, मजहब, जाति और परिवार सर्वोपरि रहा है। इनके समय में परियोजनाएं लूट-खसोट और बेईमानी के लिए बनती थीं। यही वजह है कि सरयू नहर जैसी परियोजनाएं चार दशकों तक लटकी रहीं। खेत सूखे रहे और लागत बढ़ती रही। कहा कि इस साल के अंत तक हम प्रदेश की 20 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचन क्षमता से आच्छादित करेंगे।
रविवार को लखनऊ में राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान रहमानखेड़ा में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ और राजकीय कृषि प्रक्षेत्र मॉडल के शिलान्यास के मौके पर योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे किसानों की आय दोगुना करने की घोषणा की तबसे प्रधानमंत्री सिंचाई, फसल बीमा और किसान सम्मान आदि योजनाओं के जरिये इस पर काम भी जारी है। केंद्र के नक्शे-कदम पर प्रदेश सरकार ने भी बदहाल लघु-सीमांत किसानों की फौरी राहत के लिए पहला काम कर्ज माफी का किया। समय से कृषि निवेश उपलब्ध कराया। बीजों पर अनुदान बढ़ाया। खरीद की पारदर्शी व्यवस्था कर इसमें से बिचौलियों की भूमिका खत्म कर दी। नतीजतन गेहूं, धान और गन्ने की रिकार्ड खरीद और भुगतान हुआ।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में मिलेगा किसानों को आधुनिक प्रशिक्षण
योगी ने कहा कि देश और दुनिया में खेतीबाड़ी के क्षेत्र में क्या नया हो रहा है, इस ‘एक्सीलेंस सेंटरÓ में किसानों को इसका प्रशिक्षण मिलेगा। राजकीय कृषि प्रक्षेत्र मॉडल के रूप में विकसित किये जाएंगे। यहां कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार कृषि विविधीकरण के फार्म विकसित करके किसानों को बताया जाएगा कि कैसे वे अपनी आय दोगुनी या इससे भी ज्यादा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने रहमानखेड़ा में ही अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से चिकित्सा विश्वविद्यालय के निर्माण की भी घोषणा की। साथ ही जैविक खेती के लिए पद्मश्री पाने वाले बुलंदशहर के किसान भारत भूषण त्यागी को सम्मानित भी किया।
पहले योजनाएं पर नहीं होता था अमल : सूर्य प्रताप
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि पहले योजनाएं बनती थीं, पर क्रियान्वयन नहीं होता था। बजट का भी टोटा रहता था। अब योजनाओं पर अमल होता है। केंद्र ने पांच साल में कृषि का बजट करीब दोगुना कर दिया। पहली बार किसी सरकार ने फसलों की लागत की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना किया। कृषि मंत्री ने कहा कि सभी सुविधाओं से युक्त एक्सीलेंस सेंटर और बतौर मॉडल विकसित किये जाने वाले कृषि प्रक्षेत्रों की लागत क्रमश: करीब 23 और 52 करोड़ होगी।