सोनिया गांधी को कांग्रेस नेतृत्व के बदलाव को लेकर कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं की ओर से चिट्ठी लिखी गई थी, जिसे लेकर कार्यसमिति की बैठक में काफी आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए थे. इसके बाद असंतुष्ट नेताओं को मनाने की कवायद जारी है. ऐसे में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वालों में प्रमुख रूप से शामिल गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक उनके द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों को सुनने के लिए पूर्णकालिक पार्टी प्रमुख की नियुक्ति नहीं हो जाती, वह छह महीने तक इंतजार करने के लिए तैयार हैं.
गुलाम नबी आजाद ने अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ‘अगर सोनिया गांधी इन मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्तावित समिति में मुझे सदस्य बनाती हैं, तो मुझे ऐसा करने में खुशी होगी. उन्होंने कहा कि एक कांग्रेसी के रूप में वह इस बात से परेशान नहीं हैं कि राहुल गांधी अगले अध्यक्ष बनते हैं या किसी और को ये जिम्मेदारी मिलेगी. इन सबके बजाय अगर पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल जाए, तो उन्हें ज्यादा खुशी होगी. उन्होंने कहा, ‘पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष कोई भी बन सकता है. मैं पूर्णकालिक अध्यक्ष पद का उम्मीदवार नहीं हूं. मेरी बस इतनी इच्छा है कि पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल जाए.’
चिट्ठी को आगे लेकर जाने की योजना के सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘फिलहाल इसे आगे ले जाने का कोई सवाल ही नहीं है. मेरा बस इतना कहना है कि कांग्रेस पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलना चाहिए. वो कोई भी हो सकता है…ए,बी,सी,डी. मैं किसी खास की बात नहीं कर रहा.’ आजाद ने कहा कि एक निर्वाचित कांग्रेस कार्य समिति, एक प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष और एक संसदीय बोर्ड होनी ही चाहिए.
कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हमने सीडब्ल्यूसी की बैठक में एक से एक लक्ष्य हासिल किए हैं. यह निर्णय लिया गया है कि छह महीने के भीतर पार्टी का एक सत्र होगा, जिसमें एक पूर्णकालिक अध्यक्ष चुना जाएगा. हमें खुशी है कि कम से कम सोनिया गांधी के हाथ में पार्टी की कमान है. नहीं तो अंतरिम अध्यक्ष के लिए एक या दो साल के लिए कोई तीसरा व्यक्ति होता. फिर कोई चौथा. पांचवां और ये सिलसिला यूं ही चलता रहता.’
कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों जैसे अन्य सुझाव पर गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘सोनिया गांधी को ऐसा करने के लिए कहने के लिए हमारी ओर से यह उचित नहीं होगा, क्योंकि हमने छह महीने के भीतर चुनाव कराने का फैसला किया है और सोनिया गांधी फिलहाल अंतरिम अध्यक्ष हैं. इसलिए फैसले वही लेंगी. इस 6 महीने के दौरान वह ब्लॉक और जिला और पीसीसी चुनाव कैसे कर सकती है? इसमें कम से कम एक साल का समय लगता है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं 6 महीने तक इंतजार कर सकता हूं, इस दौरान कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा. मैंने 23 साल तक इंतजार किया, छह महीने तक इंतजार करने में मुझे कोई हर्ज नहीं है.’
गुलाम नबी आजाद कहते हैं, ‘बेशक मैं रिटायर हो रहा हूं, लेकिन सोनिया गांधी का मेरे संन्यास से कोई लेना-देना नहीं है. यह बीजेपी की सरकार है, जो मेरे राज्य जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं करा रही है. मैं महाराष्ट्र, यूपी या बिहार या राजस्थान से सांसद नहीं हूं, मैं 1996 से जम्मू-कश्मीर से सांसद हूं. जम्मू-कश्मीर में जो हुआ, उसमें सोनिया गांधी या राहुल गांधी की गलती नहीं है. अगर कोई चुनाव (जम्मू-कश्मीर में) होता और वहां विधायक होते और उसने मुझे टिकट नहीं दिया होता, तो मैं ज्यादा दुखी होता.’