कश्‍मीर घाटी में पहली बार ध्वस्त हो रहा आतंक का सपोर्ट सिस्टम, नहीं बचा बुरहानी वानी की तरह एक भी आतंकी पोस्टर ब्याय

अनुच्छेद 370 के खात्मे और प्रशासनिक रूप से पूरी तरह भारत के तौर तरीके में विलय के एक साल बाद बदलाव के कई उदाहरण देखे जा सकते हैं। विकास की चर्चा और उसके लिए तड़प देखी सुनी जा सकती है। पर सबसे बड़ी दिखाई देने वाली उपलब्धि सुरक्षा के मोर्चे पर है। 30 साल में पहली बार जम्मू-कश्मीर में अधिक संख्या में आतंकियों का खात्मा हो रहा है, नए आतंकियों की भर्ती में कमी है।

घुसपैठ रोकने और हथियारों व पैसे के सप्लाई चैन को भी तोड़ने में मिली सफलता 

सुरक्षा एजेंसियां को पाकिस्तान से आतंकियों की घुसपैठ रोकने और हथियारों व पैसे के सप्लाई चैन को भी तोड़ने में काफी हद तक सफलता मिली है। कहा जा सकता है कि आतंक का सपोर्ट सिस्टम ध्वस्त हो रहा है। पिछले एक साल में कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत कांफ्रेंस पर प्रतिबंध लगाने के अलावा बड़ी संख्या में उसके नेताओं को हिरासत में लिया गया है।

इसके साथ ही आतंकियों के लिए नाक-कान-आंख और हाथ बनने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर को भी बड़ी संख्या में गिरफ्तार किया गया। आतंकियों तक फंडिंग पहुंचाने वालों पर ईडी और एनआइए का शिकंजा अलग से कसा है। ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करने वाले 5500 युवकों को हिरासत में लेने के बाद चेतावनी के साथ उनके परिवार वालों को सौंपा गया। इसी तरह हुर्रियत और जमात के 504 अलगाववादी नेताओं अच्छे आचरण का बांड भरकर दिया है।

इस साल 31 जुलाई तक 150 आतंकी मारे गए 

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के अनुसार, सपोर्ट सिस्टम के ध्वस्त होने का ही नतीजा है कि जहां 2019 के पूरे साल में 160 आतंकी मारे गए थे, वही इस साल 31 जुलाई तक 150 आतंकी मारे जा चुके हैं। जिनमें 30 विदेशी आतंकी और 39 शीर्ष कमांडर शामिल हैं। उन्होंने कहा ‘आज की तारीख में घाटी में सक्रिय सभी आतंकी संगठन नेता विहीन हो गया है, लंबे समय के बाद घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या 200 से नीचे पहुंच गई है और आतंकी बनने के बाद औसतन 90 दिन के भीतर उसे मार गिराया जाता है।’ इस साल कुल 26 आतंकी घुसपैठ करने में सफल रहे थे, जो पिछले साल दोगुनी थी, जबकि घुसपैठ के लिए पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गोली-बारी की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

पाकिस्‍तान को घुसपैठ में नहीं मिली कामयाबी 

पिछले साल घुसपैठ के दौरान सीमा पर एक भी मुठभेड़ नहीं हुआ था, लेकिन इस साल आधा दर्जन मुठभेड़ हो चुकी है, जो सीमा पर सुरक्षा बलों की सतर्कता को दिखाती है। सीमा पर सुरक्षा बलों की सक्रियता सिर्फ घुसपैठ रोकने में ही नहीं, बल्कि आतंकियों के लिए हथियारों की सप्लाई पर भी बुरा असर पड़ा है। पाकिस्तान उन्हें ड्रोन से लेकर पंजाब के मार्फत ट्रकों से हथियार सप्लाई की हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन कामयाबी बहुत कम मिल पा रही है। दिलबाग सिंह के अनुसार नए कश्मीर में युवा के लिए ‘पोस्टर ब्याय’ बनने वाले आतंकी सीन से पूरी तरह गायब हैं। कभी यहां के युवक बुरहान वानी जैसे आतंकी का फोटो अपनी जेब में रखते थे। इस साल लगभग 80 नए युवक आतंकी बने, जिनमें 38 मारे जा चुके हैं, 22 पकड़ लिए गए हैं और बाकी सक्रिय बचे 20 आतंकी निशाने पर है।

घाटी में हिंसा में पुलिस को नहीं चलानी पड़ी गोली, नहीं हुई आम आदमी की मौत  

हालात बदलने के सबूत के तौर पर दिलबाग सिंह 2016 के जुलाई में आतंकी बुरहान वानी की मौत और 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के बाद घाटी के हालात का आंकड़ा पेश करते हैं। उनके अनुसार बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा की 2600 से अधिक घटनाएं हुई थी, जिनमें पुलिस के 3000 जवान घायल हुए थे और 70 से अधिक आम लोगों की मौत हुई थी। लेकिन पांच अगस्त 2019 के बाद आधे से भी कम लगभग 1150 हिंसक घटनाएं दर्ज हुईं, इनमें भी 550 पोस्टर लगाने के थे। पुलिस को एक भी गोली नहीं चलानी पड़ी और एक भी आम आदमी की मौत नहीं हुई।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com