कश्मीर: मोबाइल से पाबंदी हटने के बाद आतंकियों पर नजर

कश्मीर में मोबाइल से पाबंदी हटने के बाद अब सुरक्षा बलों की नजर आतंकियों और अलवावादियों के गठजोड़ की साजिश पर है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वे अफवाह फैलाने या किसी वारदात की साजिश के लिए सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं। ऐसे में एजेंसियों को पूरी तरह से सतर्क रखा गया है। 

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि घाटी में हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं, लेकिन आतंकी गुटों की साजिश के बारे में पुख्ता जानकारी एजेंसियों को मिल रही हैं। वे सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए साजिश रच रहे हैं। जैश और लश्कर जैसे संगठन लगातार किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की कोशिश में हैं, लेकिन सुरक्षा बलों की सजगता से चलते उनकी कोई भी साजिश कामयाब नहीं हो पाई है।

छूट के बाद भर्तियों पर निगाह : सुरक्षा बलों को आशंका है कि छूट का फायदा उठाकर आतंकी गुट स्थानीय आतंकियों की भरती करने और वारदात को अंजाम देने के लिए संचार माध्यमों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि हम आम लोगों को सुविधा देने के पक्ष में हैं, लेकिन आतंकियों और अलगवादी गुटों पर नकेल कसने की ब्यूह रचना भी तैयार है। तमाम आधुनिक संचार उपकरणों से आतंकियों के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है। घाटी के अंदर भी संदिग्ध लोगों पर नजर रखी जा रही है। सूत्रों ने कहा कि जहां भी देश विरोधी हरकत नजर आएगी उससे कड़ाई से निपटा जाएगा। 

करीब 50 आतंकवादी सक्रिय

सूत्रों ने कहा कि बालाकोट में स्ट्राइक के कई महीने बाद फिर से आतंकियों का समूह वहां सक्रिय हुआ है। करीब 50 जैश आतंकियों को वहां प्रशिक्षण देने की पुख्ता जानकारी एजेंसियों को मिली है। सुरक्षा बल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इन आतंकियों को खासतौर पर कश्मीर में आतंकी वारदात के लिहाज से प्रशिक्षित किया गया है। एजेंसियों की निगाह इनकी हर गतिविधि पर बनी हुई है।

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