हर माँ यह चाहती है कि वो स्वस्थ बच्चे को जन्म दे लेकिन बहुत से बच्चे जब पैदा होता है तो उनका वजन सामान्य से कम होता है और ऐसे बच्चों को एक्स्ट्रा केयर की जरुरत होती है. वैसे तो कम वजन वाले बच्चों को काफी स्वस्थ संबंधी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है लेकिन एक शोध में सामने आया है कि ऐसे बच्चों में डाइबिटीज होने का खतरा भी अधिक होता है. एक नए अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है।
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अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि जन्म के समय वजन कम रहने से वास्तव में डाइबीटिज-टाइप 2 होने का खतरा बहुत अधिक होता है। अमेरिका के तुलान विश्वविद्यालय के तियांजे वांग ने कहा, सामान्यतया जन्म के समय कम वजन का संबंध टाइप टू डाइबीटिज की सुग्राह्यता बढने से है। भ्रूण का विकास सीमित होना जन्म के समय वजन कम होने का कारण हो सकता है। यह ऎसी स्थिति होती है, जिसमें गर्भ में पल रहा बच्चा जितना बडा होना चाहिए, उससे छोटा होता है क्योंकि गर्भ में उसका सामान्य दर से विकास नहीं होता।
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इस तरह के सीमित भ्रूणीय विकास से जन्म के समय वजह कम होता है और इसकी वजह से टाइप टू डाइबीटिज होने का खतरा होता है। गर्भाशय के अंदर इस तरह के सीमित विकास में कुपोषण, रक्त की कमी, संक्रमण और गर्भनाल का अभाव का खतरा भी रहता है। अध्ययन दल ने आनुवांशिक भिन्नता वाले पांच कम वजन से संबंधित एक जेनेटिक डेंजर स्कोर बनाया। विश्लेषण से पता चला कि हर अंक के साथ जीआरएस बढ़ता गया। इससे टाइप-टू डाइबीटिज होने का खतरा छह फीसदी बढ गया।
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