राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज द्वारा पुरुष नसबंदी में लक्ष्य से पीछे रहने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने के आदेश के बाद सियासत शुरू होने के चलते अब कमलनाथ सरकार ने आदेश रद्द कर दिया है।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सभी सीएमएचओ को फोन के जरिए मौखिक सूचना दे दी गई है और बताया गया है कि किसी का वेतन नहीं रोका जाएगा। हालांकि इसकी नियमित समीक्षा होगी।
लक्ष्य के अनुसार काम नहीं करने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। सुधार नहीं होने पर बाद में उन पर वेतन रोकने की कार्रवाई भी हो सकती है। प्रदेश में इस साल 500000 नसबंदी का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 337000 नसबंदी हुई है। इसने पुरुष नसबंदी सिर्फ 2900 है।
इधर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अधिकारियों के लिए नसबंदी का टारगेट देना और ऐसा न होने पर सेवा समाप्ति के निर्णय को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी विधायक नरोत्तम मिश्रा ने गलत ठहराया।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय आपातकाल की प्रीमेच्योर डिलीवरी जैसा है। उस समय अविवाहितों की भी नसबंदी कर दी गई थी। शायद उस समय भी कमलनाथ ही सरकार के सलाहकार रहे होंगे।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा मध्यप्रदेश में नसबंदी के मामले में ऐसा लग रहा है कि फिर से आपातकाल लगा दिया गया हो और फिर से संजय गांधी की चौकड़ी ही अपने नियम बनाकर लागू कर रही है। क्या कमलनाथ सरकार जबरन पुरूषों की नसबंदी करवाएगी।