मुल्ला अब्बास बगदादी से एक बार अपने शिष्य ने प्रश्न किया कि ‘ सुना है प्रलय बहुत बड़ी बला होती है। प्रलय में सारे संसार को खत्म करने की ताकत होती है। क्या आप बता सकते हैं कि प्रलय होता क्या है? ‘
यह सुनकर मुल्ला अब्बास बगदादी ने जवाब दिया कि ‘ तुम्हारा कहना सही है कि प्रलय बहुत बड़ी बला होती है। देखते हैं तुम्हारे सवाल का कोई जवाब दे सकता है क्या यह कहकर उन्होनें दूसरे शिष्यों की ओर देखा। ‘
एक शिष्य ने कहा कि ‘ मेरी नजर में खुदा के प्रति इंसान के अपराध ही प्रलय की वजह है।’ दूसरे ने कहा कि ‘ जब इंसान के जुल्मों को धरती झेल नहीं पाती है तो खुदा प्रलय के जरिए इसको धोता है। ‘
तीसरे शिष्य ने कहा कि ‘ कमजोर आदमी के आंसू का एक कतरा ही प्रलय की असली वजह है। ‘
मुल्ला अब्बास बगदादी ने सभी शिष्यों की बातों को सुना और कहा कि ‘ यह सही है कि कमजोर आदमी की आंखों से निकलने वाले आंसू ही प्रलय की वजह है। इसलिए किसी भी कमजोर आदमी के दुख-दर्द यदि हम दूर नहीं कर सकते हैं तो उसको किसी भी तरह की तकलीफ तो देनी ही नहीं चाहिए। निसहाय इंसान इतना लाचार होता है कि वह कष्टों को सिर्फ सहन करता रहता है और उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलता है इसलिए उनकी लाचारी उनका दुख उनकी आंखों से आंसूओं के जरिए निकलता है। इसलिए गरीबों पर रहम करोगे तो खुदा भी तुम्हारे ऊपर मेहरबान बना रहेगा, लेकिन इसके बावजूद हम इस बात को समझते नहीं है और प्रलय को आमंत्रित करते रहते हैं। ‘