भारत में सभी धमों के प्रति भक्तों की अटूट आस्था देखने को मिलती है। इसी तरह रीति रिवाजों का भी बहुत महत्व होता है। जिस तरह हिन्दू धर्म में सप्ताह के दिनों में भगवान के विशेष पूजा अर्चना का महत्व होता है, उसी तरह शादी के समय की जाने वाली कई रस्मों को भी धार्मिक और रिती रिवाजों से जोडकर निभाई जाती है। जिससे जिंदगी में खुशियां आ सके। इसी तरह शादी के दिन पहना जाने वाला लाल रंग का जोड़ा का भी बहुत महत्व माना गया है। 
लाल रंग को लेकर बात करें तो लाल रंग हमारी हिंदू संस्कृति में महिलाओं के सुहाग की निशानी का प्रतीक भी माना गया है। जिसे महिलाएं पूरी जिम्मेदारी के साथ इन्हे निभाती भी है, और इस दिन पहनती भी है। शादी समारोंह के मौको पर दुल्हन को लाल रंग का जोड़ा पहनना बेहद शुभ होता है, जिसके बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
शादी के जोड़ों में लाल रंग का जोड़ा दुल्हन के सोलह श्रृंगारों में से एक होता है। दुल्हन के ससुराल पक्ष की तरफ से मिलता है, लेकिन आज जिस तरह फैशन का ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जिसके चलते शादी के इस पवित्र रंग के जोड़े में भी कई कलर देखने को मिलने लगे है। रोजमर्रा की लाइफ में किसी भी तरह के कलर का या फैशन का आउटफिट पहनते है, पर अगर शादी के दिन लाल रंग का जुड़ा हो तो वह बेहद शुभ और सुहान की निशानी मानी जाती है। लाल रंग का जोड़ा ही नहीं बल्कि लाल बिंदी के साथ मांगलिक कार्यों में भी लाल रंग का विशेष महत्व रखता है।
हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक कार्यो के दौरान महिलाए लाल रंग की साड़ी ही पहनती है। इसके अलावा पूजा पाठ के दौरान भी शादीशुदा महिलाएं लाल रंग की कई सुहाग की निशानी पहनती है। जो देवी देवताओं को अधिक प्रिय माना गया है।
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