ऑपरेशन सिंदूर : मजबूत राजनेता साबित हुए मोदी… किस नेता ने कही ये बात; पंजाब की राजनीति पर होगा कितना असर

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की है। साथ ही कहा है कि युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूत राजनेता साबित हुए हैं। उन्होंने बॉर्डर पार शांति के दुश्मनों से निपटने के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाया।

सुखबीर ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी अगुवाई के कारण ही पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए भीख मांगने के लिए वाशिंगटन भागना पड़ा। युद्ध के मैदान में निर्णायक जीत के बाद प्रधानमंत्री ने संघर्ष विराम के उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए एक राजनेता की तरह काम किया। जीत के बाद शांति सबसे सम्मानजनक रास्ता है।

युद्ध विराम की आलोचना करने वाले नेताओं पर हमला
सुखबीर ने युद्ध विराम की आलोचना करने वाले राजनेताओं पर हमला बोलते हुए कहा कि इन नेताओं को युद्ध से हुए नुकसान की कोई परवाह नहीं। ये लोग ही देश के असली दुश्मन हैं। अगर युद्ध लंबे समय तक जारी रहता तो पंजाब को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता। हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा बाॅर्डर इलाके में रहता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस खतरे को प्रधानमंत्री ने टाल दिया है।

सुखबीर ने कहा कि संकट के दौरान सिख समुदाय देश के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा। पंजाबियों ने साबित कर दिया कि जब देश को बाहरी आक्रमण का खतरा होता है तो सिख हमेशा पहली लाइन में खड़े होते हैं। पाकिस्तान ने यह कहकर सिखों के दिल दिमाग में नफरत के बीज बोने की पूरी कोशिश की कि भारत ननकाना साहिब को निशाना बना रहा है, लेकिन समुदाय ने इस तरह के झूठ को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होने कहा कि समुदाय कभी भी युद्ध नही चाहता और केंद्र सरकार को अपने और देश के हित में काम करने का आभारी है। सुखबीर ने प्रधानमंत्री से अपील की कि सिख समुदाय भाई बलवंत सिंह राजोआणा सहित सिख बंदियों की निंरतर कैद का उचित समाधान चाहते हैं।

बयान से शिअद-भाजपा के गठबंधन की चर्चाओं का बाजार गर्म
सुखबीर के बयान से शिअद-भाजपा के बीच दोबारा गठबंधन होने की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। किसान आंदोलन-1 के समय शिअद ने तीन कृषि कानून वापिस लेने की मांग के साथ भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था। साथ ही हरसिमरत कौर बादल ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव में भी शिअद के साथ भाजपा के दोबारा गठबंधन होने की खूब चर्चा चली थी। हालाकि यह सिरे नहीं चढ़ पाई थी। अब वर्ष 2027 से पहले फिर से दोनों इकट्ठे हो सकते हैं।

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