ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि आधी रात कोठे पर जा पहुंची स्वाति मालीवाल

दिल्ली में हर रात कोठे पर महिलाओं की नुमाइश होती है। यहां उनकी बोली लगती है। लोग शराब पीकर महिलाओं पर टूटने को तैयार रहते हैं। यही है हमारे समाज का असली महिला सशक्तीकरण। जीबी रोड के कोठों की असलियत जानने के लिए रविवार रात दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालिवाल यहां पहुंचीं। कोठों के बद से बदतर हालात से रू-ब-रू होने के बाद उन्होंने यहां की महिलाओं का दर्द लोगों तक पहुंचाया।

ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि आधी रात कोठे पर जा पहुंची स्वाति मालीवाल

मालिवाल ने कोठों पर आने-जाने वालों से न केवल पूछताछ की, बल्कि करीब तीन घंटे तक उस जगह की विडियोग्राफी भी करवाई। महिलाओं और मासूम बच्चों को कोठों के नर्क से निकालने के लिए उन्होंने सभी संस्थाओं से एकजुट होकर कार्रवाई करने की अपील की है। जीबी रोड के सबसे बड़े कोठा संचालक आफाक हुसैन और उसकी पत्नी सायरा बेगम की गिरफ्तारी के बाद वे रविवार रात इन कोठों की हकीकत जानने के लिए गई थीं।
रात करीब 10 बजे स्वाति अपनी टीम के साथ जीबी रोड पहुंचीं। उनकी टीम में 5 पुरुष और 10 महिलाएं शामिल थीं। टीम ने रात 1 बजे तक वहां रहकर जायजा लिया। हालांकि, डीसीडब्ल्यू टीम के जीबी रोड आने की सूचना कमला मार्केट थाना पुलिस को शाम करीब 5 बजे ही मिल गई थी। 
रिएलिटी चेक कर लौटने के बाद स्वाति ने सोमवार सुबह एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा – ‘रात को अपराधियों का बोलबाला दिखता है, वहां के सीन हैरान करने वाले थे, टीनेजर्स नशे की हालत में देखे गए। कई नामी कॉलेजों के छात्र भी वहां देखे गए।’
उन्होंने लिखा कि देश की संसद से केवल 3 किलोमीटर पर जीबी रोड है। हर दिन यहां कोठों पर किशोरियों को लाकर बेचा जाता है और उनके साथ अत्याचार किया जाता है। लोगों में न पुलिस का डर है, न सरकार का। 
सालों से चल रहा यह गैरकानूनी धंधा मानो कानूनी हो। मालिवाल ने कहा कि यहां आकर पता चला कि दिल्ली पुलिस भी दबाव में है। कोई एक्शन लेते हैं तो मानवाधिकार आयोग वाले लोग चिल्लाने लगते हैं, कोर्ट से स्टे ऑर्डर ले आते हैं।
डीसीडब्ल्यू चीफ के मुताबिक, इसमें एमसीडी का भी बहुत अहम रोल है। कोठे अवैध रूप से बने हैं। बहुत-से ऐसे तहखाने हैं जहां सांस भी नहीं ले सकते, वहां लड़कियां छुपाई जाती हैं। अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? बहुत पेचीदा है यह मुद्दा।
 इसका हल तभी हो सकता है जब सरकार, पुलिस, समाज और कोर्ट मिलकर काम करें। सबसे दुख की बात यहां छोटी बच्चियों को लेकर है, जिसे सेक्स वर्कर्स अपने साथ रखती हैं। सरकार को बच्चों को तुरंत वहां से निकाल देना चाहिए, जिससे वे इस दलदल में न पड़ें।

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