बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी साल में बिहारी के सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दो घटक दल आमने-सामने हैं. सरकार का नेतृत्व कर रही जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के बीच बयानों के तीर चल रहे हैं. एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खफा हैं. चिराग ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर नीतीश कुमार की शिकायत की है.
बिहार की जमुई लोकसभा सीट से सांसद चिराग पासवान ने जेपी नड्डा को बताया कि किस तरीके से जेडीयू लगातार एलजेपी की उपेक्षा कर रही है. उन्होंने भाजपा अध्यक्ष से स्पष्ट कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के जल, जीवन, हरियाली और सात निश्चय का एजेंडा उनकी पार्टी का एजेंडा नहीं है. चिराग पासवान ने यह मांग भी की है कि बिहार विधानसभा चुनाव अगर एनडीए के तीनों घटक दलों को साथ लड़ना है, तो उससे पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाना पड़ेगा, जिसमें सभी दलों के एजेंडे को शामिल किया जाना चाहिए.
चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी का कार्यक्रम ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ को एनडीए के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में जगह मिले. भाजपा अध्यक्ष से दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद चिराग पासवान ने 15 अगस्त को पटना में पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक बुलाई है. पार्टी कार्यालय में झंडा फहराने के बाद चिराग वरिष्ठ नेताओं के साथ आगामी चुनाव में पार्टी की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे.
गौरतलब है कि चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच पिछले कुछ महीनों से टकराव के हालात हैं. बताया जा रहा है कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच में मतभेद हैं और इसी की वजह से दोनों नेताओं के बीच तकरार चल रही है. नीतीश कुमार एनडीए में चिराग पासवान को तरजीह नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से चिराग मुख्यमंत्री से नाराज बताए जा रहे हैं.
चिराग पासवान ने पिछले कुछ महीनों से सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. चिराग कानून-व्यवस्था, प्रवासी मजदूरों का मुद्दा, कोरोना महामारी के दौरान सरकार की नाकामी, बाढ़ के हालात को लेकर कई बार पत्र लिखकर नीतीश कुमार पर हमला बोल चुके हैं. नीतीश कुमार को लेकर चिराग पासवान ने पिछले कुछ महीनों में जिस तरीके के तेवर दिखाए हैं, उससे ऐसा लगने लगा है कि भाजपा के हालात नहीं संभाल पाने की स्थिति में वे गठबंधन से अलग हो जाएंगे.
बता दें, अपने पार्टी के नेताओं के साथ पिछले कुछ बैठकों में चिराग पासवान ने बार-बार इस बात को दोहराया है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और जरूरत पड़ी तो उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.