आभा नंबर से पर्ची बनने के बाद मरीज के अस्पताल आने की पूरी जानकारी, उसे दी गई दवाएं, करवाई गई जांच, जांच रिपोर्ट, डॉक्टर की सलाह, यदि मरीज को भर्ती किया जाता है तो उस दौरान चला पूरा इलाज, इलाज के बाद छुट्टी होने पर तैयार की गई डिस्चार्ज समरी आभा नंबर से लिंक होगा।
एम्स की तर्ज पर डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में भी इलाज करवाने आ रहे मरीजों को रिकॉर्ड लेकर घूमने की जरूरत नहीं रहेगी। मरीज के सभी मेडिकल रिकॉर्ड आभा नंबर से लिंक होंगे। दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए जाने पर डॉक्टर उक्त आभा नंबर की मदद से सभी पुराने रिकॉर्ड को देख पाएगा।
आरएमएल अस्पताल ने इलाज के लिए आ रहे मरीजों को आभा नंबर (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एकाउंट) से जोड़ने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। हालांकि यह वैकल्पिक सुविधा है। यदि मरीज इसके लिए मना करता है तो उसे सामान्य तरीके से सुविधा दी जाएगी। इसे लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने एक आदेश जारी किया।
इस आदेश के तहत आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों को इस पर अमल में लाने का निर्देश दिया है। आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने एक 100 मोडल फैसिलिटी परियोजना शुरू की है। आरएमएल अस्पताल भी इसका हिस्सा है। अस्पताल में मरीजों की डिस्चार्ज समरी को आभा नंबर से जोड़ना आवश्यक होगा।
ओपीडी में आने वाले मरीजों का बनेगा आभा नंबर
अस्पताल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक ओपीडी में आने वाले मरीजों का आभा नंबर बनाया जा रहा है। साथ ही उक्त नंबर से ही पर्ची बनाई जा रही है। यह सुविधा पहले से एम्स में लागू है। एम्स में कम समय में रिकॉर्ड आभा नंबर जारी किए। इसी तर्ज पर आरएमएल अस्पताल भी इस दिशा में काम कर रहा है। यदि मरीज दूसरे अस्पताल में जाता है तो केवल आभा नंबर देने पर मरीज की पूरी जानकारी उक्त डॉक्टर के कंप्यूटर पर होगी। इसके आधार पर आगे की जांच या इलाज आसानी से कर सकेगा।
घटेगा अस्पताल में रिकाॅर्ड रखने का बोझ
मौजूदा समय में आरएमएल अस्पताल ऑफलाइन माध्यम से रिकॉर्ड रखता है। आभा नंबर बनने पर रिकॉर्ड ऑनलाइन आभा एकाउंट पर होगा। इसे मरीज भी ओटीपी की मदद से देख सकेगा। वहीं डॉक्टर भी विशेष सर्वर की मदद से देख सकेगा।
8-9 हजार मरीज रोज आते हैं अस्पताल
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रोजाना आठ से नौ हजार मरीज इलाज करवाने आते हैं। ओपीडी में आने वाले मरीजों मरीजों को जांच के बाद भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। वहीं आपातकालीन में आने वाले मरीजों को भी जरूरत के आधार पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है। इनमें से काफी मरीज दूसरे राज्यों से होते हैं।