एक ही संपत्ति दो लोगों को बेचकर ठगे 13 करोड़ रुपये

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ठगी करने वाले जालसाज धनकेश को गिरफ्तार किया है। आरोपी धनकेश ने एक ही प्रॉपर्टी दो लोगों को बेचकर 13 करोड़ रुपये ठग लिए। वह दिल्ली-एनसीआर में 10 वर्ष से प्रॉपर्टी डीलर का काम कर रहा था। अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ था। 

आरोपी ने धनकेश ने चौधरी चरण सिंह (सीएसएस) विश्वविद्यालय, मेरठ से एलएलबी की डिग्री ले रखी है। पुलिस इसके फरार साथी को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दे रही है। गौतमबुद्ध नगर के ए-3 के सेक्टर-9 निवासी प्रॉपर्टी डीलर अशोक कुमार ने शिकायत दी थी कि उसने नई दिल्ली के ग्रीन पार्क में 200 गज की प्रॉपर्टी खरीदने के लिए धनकेश व अजीत नाम के लोगों से संपर्क किया। सौदा 8.50 करोड़ रुपये में तय हो गया। इसके बाद उसने अलग-अलग तरीकों से दोनों को दो करोड़ का भुगतान किया। बाद में पता चला कि उक्त प्रॉपर्टी पहले ही किसी अन्य पक्ष को बेची जा चुकी है और पार्टी से 11 करोड़ रुपये ले लिए हैं। 

सफदरजंग एंक्लेव थाने में मामला दर्ज कराया गया। अपराध शाखा में तैनात एसीपी नरेंद्र सिंह व इंस्पेक्टर संदीप स्वामी के नेतृत्व में बनी एसआई रवि सैनी, एसआई प्रदीप दहिया, एएसआई अशोक व  अन्य की टीम को भी जांच में लगाया गया। जांच के दौरान एसआई रवि सैनी को सूचना मिली कि थाना सफदरजंग एन्क्लेव में धोखाधड़ी के मामले में वांछित व भगोड़ा धनकेश किसी से मिलने करनाल बाईपास के पास आएगा। पुलिस टीम ने करनाल बाईपास के पास घेराबंदी कर मालवीय नगर निवासी धनकेश को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस इसके फरार साथी अजीत को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट का वकील बनकर की ठगी
दक्षिण जिले की साइबर थाना पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का वकील बनकर ठगी करने वाले आरोपी प्रतीक दहिया को गिरफ्तार किया है। इसने लॉ फर्म खोल रखी थी और वेबसाइट बना रखी थी। आरोपी फ्रीज हुए बैंक खाते को खुलवाने के नाम पर लोगों से मोटी रकम ऐंठ रहा था। 

यह पूरे उत्तर भारत में 150 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी कर चुका है। आरोपी प्रतीक नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल से लॉ कर रहा था, मगर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। इसकी निशानदेही पर अपराध में प्रयुक्त 1 मोबाइल, 4 डेबिट कार्ड, 1 आधार कार्ड तथा 1 सिम कार्ड बरामद किया गया है।   दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त चंदन चौधरी ने बताया कि हौजखास निवासी पीड़ित ने पुलिस को शिकायत दी थी कि बिजनेस लेनदेन के कारण उसका बैंक खाता एनसीआरपी पोर्टल से ब्लॉक कर दिया गया था।

इस मामले को सुलझाने के लिए शिकायतकर्ता को वेबसाइट पर एक नंबर मिला। वह खुद को सुप्रीम कोर्ट का वकील बता रहा था और दावा कर रखा था कि पूरे भारत में पुलिस विभाग से अच्छे संबंध हैं। आरोपी ने पीड़ित को दक्षिण दिल्ली के साइबर पुलिस स्टेशन के आधिकारिक सरकारी ई-मेल आईडी द्वारा भेजे गए नकली ईमेल का नकली स्क्रीनशॉट भी भेजा। 

मामला दर्ज कर साइबर थाना प्रभारी अरुण कुमार वर्मा की देखरेख में एसआई गुमान सिंह, एसआई अंकित शर्मा, हवलदार सुरेंद्र व हरेंद्र कुमार की टीम ने जांच शुरू की। पुलिस ने उन बैंक खातों की डिटेल खंगाली, जिनमें ठगी का पैसा गया था। एनसीआरपी पोर्टल और स्थानीय पुलिस स्टेशनों से विवरण लेने पर पता लगा कि आरोपी ऐसे व्यक्तियों को शिकार बना रहा है, जिनके खाते को पूरे भारत में कानूनी एजेंसियों से अवरुद्ध कर दिया गया है। एसआई अंकित की टीम ने फर्जी वेबसाइट का विवरण प्राप्त किया तो पता लगा कि आरोपी व्यक्ति वेबसाइट पर विभिन्न अधिवक्ताओं के नाम का उपयोग कर रहा है। 

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