दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को एक देश एक चुनाव पर विचार करने वाली संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर इसके आर्थिक पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर गीता गोपीनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयकों की जांच कर रही संसद की संयुक्त समिति के समक्ष अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं।
दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को एक देश एक चुनाव पर विचार करने वाली संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर इसके आर्थिक पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर गीता गोपीनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयकों की जांच कर रही संसद की संयुक्त समिति के समक्ष अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं। गीता गोपीनाथ पूर्व में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की उप प्रबंध निदेशक रह चुकी हैं।
समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि दोनों अर्थशास्त्रियों ने एक साथ चुनाव कराने के आर्थिक पहलुओं पर बहुमूल्य सुझाव दिए। सदस्यों ने स्पष्टीकरण मांगा, जिनका दोनों प्रख्यात अर्थशास्त्रियों ने स्पष्ट उत्तर दिया। यदि देश में एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो पांच से सात लाख करोड़ रुपये की बचत होगी और इससे जीडीपी में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
संसद, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए अलग-अलग चुनाव कराने से छात्रों की शिक्षा हमेशा बाधित होती है और कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है।
सूत्रों ने बताया कि गोपीनाथ ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने व्यवस्था संबंधी मुद्दों को उठाया, क्योंकि अभी तक कोई भी देश इस तरह के प्रयास को सफलतापूर्वक लागू नहीं कर पाया है।
उन्होंने इंडोनेशिया का उदाहरण दिया, जहां अधिकारियों को व्यवस्था संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि उस देश में 17 हजार द्वीप हैं, जहां नागरिक रहते हैं।
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