भारत में बिजनेस सेंटीमेंट जून 2016 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है। यह स्थिति धीमी होती अर्थव्यवस्था, सरकार की नीतियों और पानी कि किल्लत जैसी चिंताओं के कारण आई है। यह जानकारी सोमवार को एक सर्वे रिपोर्ट से सामने आई।

आईएचएस मार्किट की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जून में निजी क्षेत्र की कंपनियों के आउटपुट ग्रोथ के घटकर 15 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि फरवरी महीने में आउटपुट ग्रोथ का आंकड़ा 18 फीसदी था। ये आंकड़े 2016 के आंकड़ों से मेल खाते हैं अर्थात तीन साल पहले भी आउटपुट ग्रोथ इसी स्तर पर थी।
IHS मार्किट में प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डि लीमा ने कहा है कि व्यापार के लिए अनुकूल सरकारी नीतियों और अच्छी वित्तीय स्थिति की उम्मीद में एक साल पहले बेहतर आउटपुट और प्रॉफिटेबिलिटी ग्रोथ के अच्छे रहने का अनुमान था। लीमा ने कहा कि इसी उम्मीद के चलते कंपनियों ने अतिरिक्त वर्कर्स की भर्ती कर उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम किया था, लेकिन इस दिशा में किये गए खर्च की तुलना में सेंटीमेंट कमजोर रहा।लीमा ने कहा कि भारत में कैपिटल इन्वेस्टमेंट कॉन्फिडेंस भी काफी कमजोर है। साथ ही रिसर्च और डेवलपमेंट से संबंधित ऑप्टिमिज्म इमर्जिंग बाजार के औसत से कमजोर है।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, देश में इस साल बारीश की कमी की आशंका है। देश में गर्मियों में हुई बुआई को लेकर भी चिताएं जताई जा रही हैं। साथ ही सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियां डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में आने वाली संभावित गिरावट को लेकर भी चिंतित है। इससे इंपोर्टेड वस्तुओं की कीमतें तो बढ़ेंगी ही साथ ही टैक्स हाइक और वित्तीय दिक्कतें भी आ सकती हैं।
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