विवेकानंद बचपन से ही तीव्र बुद्धि के धनी थे। इनके घर का नाम नरेंद्र दत्त था। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। 1897 में मानवता की सेवा के लिए स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। इसका नाम विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा था।
अमेरिका के शिकागों में धर्म सभा में इन्होंने धाराप्रवाह भाषण दिया था। जिसकी वजह से ये अंर्तराष्ट्रीय सुर्खियों में रहे। अपने जोशपूर्ण और बेबाक भाषणों के कारण विवेकानंद युवाओं में काफी लोकप्रिय थे। लेकिन 39 साल की कम उम्र में ही इनका निधन हो गया था।
4 जुलाई 1992 को स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गई थी। इनके दिए गए संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्तोत्र हैं। इनकी कह गए संदेश युवाओं में एक नया जोश भर देते हैं। हर साल 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार जो जीवन में नई ऊर्जी भरने का काम करते हैं….
पवित्रता, धैर्य और उद्यम-ये तीनों गुण मेैं एक साथ चाहता हूं।
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, द्वेष मृ्त्यु है।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या न आए, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं।
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल आविष्कार करता है।
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है- शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।
एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो- उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जियो।
जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।
अध्यात्म- विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा।