मौजूदा केंद्र सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में उड़ान योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य था आम नागरिकों की हवाई यात्रा का सपना पूरा करना। इसके लिए देश में हवाई यातायात के नेटवर्क को बढ़ाने की जरूरत है। भविष्य में हवाई सेवाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार देश में हवाई अड्डों की संख्या मौजूदा स्तर से दोगुना करने की योजना पर काम कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) की एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले एक दशक के भीतर भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन जाएगा।
सरकार संसद में बता चुकी है कि अगले 15 वर्षों के दौरान देश में 100 नए हवाई अड्डे शुरू किए जाएंगे। इस पर चार लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। 100 में से 70 हवाई अड्डे ऐसी जगह बनाए जाएंगे जहां अभी तक इस तरह की सुविधा नहीं है। वहीं बाकी हवाई अड्डे ऐसे स्थान पर बनाए जाएंगे जहां पहले से हवाई अड्डे हैं लेकिन उन पर हवाई सेवाओं का बोझ ज्यादा है।
दिल्ली में इसी वजह से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तीन टर्मिनल के अलावा गाजियाबाद के हिंडन में वायुसेना के एयरबेस को वाणिज्यिक हवाई अड्डे के रूप में उपयोग किया जाने लगा है। जल्द ही नोएडा के पास जेवर में भी एक बड़ा हवाई अड्डा बनकर तैयार हो जाएगा। इससे दिल्ली का हवाई बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।