कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण विकसित होने के बाद अब नाक से दी जाने वाली वैक्सीन की ट्रायल की तैयारी की जा रही है. जी हां, यानी अब नेजल वैक्सीन के भी ट्रायल की तैयारी की जा रही है जिससे अब मरीज को सुई चुभाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. भारत बायोटेक और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद यानी आईसीएमआर के साझा तौर पर विकसित इस एक खुराक वाली नई वैक्सीन के ट्रायल की तैयारियां शुरू कर दी हैं.
आईसीएमआर के सूत्रों के मुताबिक, ट्रायल के पहले चरण में 12 साल से अधिक उम्र के 75 वॉलंटियर्स पर ये टीका आजमाया जाएगा. पहली बार ऐसा होगा कि 18 साल से कम आयु के वॉलंटियर्स इस तजुर्बे का हिस्सा बनेंगे.
इस परियोजना से जुड़े और एम्स के प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल के मुताबिक, अब तक के शोध से ये साबित हो रहा है कि नाक के ज़रिए से दी जाने वाली ये नेजल वैक्सीन ज्यादा कारगर होती है. इसकी एक ही खुराक काफी होगी.
इस ट्रायल के नतीजे इस धारणा को और स्पष्ट कर सकते हैं क्योंकि कोविड जैसे वायरल रोगों के विषाणु सांस के ज़रिए हमारे शरीर में घुसते हैं. ये नेजल वैक्सीन नाक में मौजूद म्यूकस में ही सबसे पहले एंटीबॉडी पैदा कर देगा जिससे शुरुआत में ही इसे खत्म करने में काफी सफलता मिलेगी.
नाक में डाली जाने वाली वैक्सीन से किसी भी व्यक्ति को न केवल कोरोना वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी बल्कि उससे किसी अन्य को फैलाव से रोकने में भी मदद मिलेगी. इससे बनने वाली एंटीबॉडी खुद के और दूसरों की सुरक्षा के लिए भी मजबूत ढाल बन सकेगी. टीके की खासियत बताते हुए डॉक्टर निश्चल ने कहा कि बच्चों को ये टीका आसानी से लगाया जा सकेगा. जैसे स्कूलों में पोलियो ड्रॉप्स की तरह मिनटों में पूरी क्लास के बच्चों को नेजल वैक्सीन दी जा सकती
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