जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र में एक गांव है बागोरिया, यहां मां के मंदिर में तेरह पीढ़ी से मुस्लिम परिवार पुजारी है। वर्तमान में पुजारी जमालुद्दीन हैं। बताते हैं कि 600 साल पहले सिंध प्रांत में अकाल पडऩे पर इनका खानदान यहां आकर रहने लगा था।
रोजा भी और उपासना भी
इस मंदिर के पुजारी परिवार रोजा भी रखते हंै और मां की उपासना भी करते हैं। हालांकि पुजारी बनने वाला व्यक्ति तब तक ही नमाज पढ़ता है, जब तक कि वह पुजारी नहीं बन जाता। हालांकि उसे इस बात की इजाजत होती है कि मां की उपासना और नमाज दोनों एक साथ कर सकता है। गांव वाले बताते हंै कि हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक जमालुद्दीन नवरात्र के समय घर आकर हवन और अनुष्ठान करवाते हंै। जमालुद्दीन बताते हैं कि ये मां का आदेश है। नवरात्र के नौ दिनों तक वो मंदिर में रहकर उपवास करते हैं और माता रानी की सेवा करते हंै।
600 वर्ष पुराना है इतिहास
कहते हैं कि अगर माता रानी अप्रसन्न हो जाती है तो मंदिर के पास बनी बावड़ी का पानी लाल रंग का हो जाता है। उसके बाद गांव के लोग कीर्तन करते है और पूजा-पाठ के बाद सुबह तक पानी निर्मल हो जाता है। इतना ही नहीं गांव वाले बताते हैं कि भागे खां के जिस ऊंट की टांग पर भभूत लगाई गई थी, मृत्यु के बाद खाल उतारने पर पता चला था कि भभूति शरीर में जाकर चांदी की सलाइयों में परिवर्तित हो गई थी। नवरात्र में आज भी यहां मां के दर्शन करने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं।