एकादशी पर इस नियम से करें मां तुलसी की आरती

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत शुभकारी होता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं। इस तिथि पर उपवास का पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं इस दिन (Pausha Putrada Ekadashi 2025 ) भगवान विष्णु के साथ देवी की पूजा भी बहुत मंगलकारी मानी गई है तो आइए इस दिन से जुड़े कुछ नियम जानते हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत उत्तम माना जाता है। यह श्री हरि और मां लक्ष्मी को समर्पित है। यह व्रत पौष महीने के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन पड़ता है। कहते हैं कि इस उपवास का पालन करने से संतान की इच्छा पूरी होती है। ऐसे में इस दिन (Pausha Putrada Ekadashi 2025 ) भक्त कठिन उपवास का पालन करें और भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करें।

इसके अलावा तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाएं और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। साथ ही देवी की भावपूर्ण आरती करें। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा।

।।तुलसी माता की आरती।। (Ekadashi Par Karen Maa Tulsi Ki Aarti)

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बदलाव होने लग जाएंगे।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।

।।भगवान विष्णु की आरती।।
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे…
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…

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