उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और अन्य नौ आरोपियों से हत्या और हत्या के प्रयास के आरोपों को हटा लिया है।
शुक्रवार की शाम लखनऊ की विशेष सीबीआइ अदालत में दायर पहले आरोपपत्र में जांच एजेंसी ने सेंगर समेत सभी आरोपितों के खिलाफ आपराधिक साजिश और आपराधिक धमकी के आरोप लगाए हैं। सड़क हादसे में पीड़िता के साथ कार में सवार उसकी दो रिश्तेदार महिलाओं की मौत हो गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ ने एफआइआर में सेंगर और अन्य नौ लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या का प्रयास और आपराधिक धमकी के आरोप लगाए थे। दुष्कर्म पीड़िता की कार को टक्कर मारने वाले ट्रक के ड्राइवर आशीष कुमार पाल के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाकर जान लेने, अन्य लोगों को गंभीर रूप से घायल कर उनकी जान और निजी सुरक्षा को खतरे में डालने संबंधी धाराओं में आरोप लगाए गए हैं।
उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता मामले में सीबीआइ ने शुक्रवार को लखनऊ की सीबीआइ की विशेष अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। यहां विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुराधा शुक्ला ने आरोप पत्र दिल्ली के सक्षम न्यायालय में दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के संशोधन आदेश का हवाला भी दिया। यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार विवेचना के दौरान इस अदालत को सुनवाई करने का अधिकार है। चूंकि, अब विवेचना पूरी हो चुकी है। लिहाजा, इसके बाद आरोप पत्र पर सुनवाई का अधिकार दिल्ली की अदालत को है।
28 जुलाई को रायबरेली जाते वक्त हुई थी दुर्घटना
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में 28 जुलाई को हुए इस सड़क हादसे में दुष्कर्म पीड़िता और उसके वकील को गंभीर चोट लगी थी। दुष्कर्म पीड़िता अपने वकील एवं घर वालों के साथ रायबरेली जेल में निरुद्ध चाचा से मिलने गई थी। वहां से लौटते समय उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी। हादसे में पीड़ित की चाची एवं मौसी की मृत्यु हो गई थी, जबकि पीड़ित एवं उनके वकील को गंभीर हालत में लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था।
इस दुर्घटना में ट्रक के ड्राइवर एवं क्लीनर को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था। बेहतर इलाज के लिए उन्हें लखनऊ से एयर एंबुलेंस के जरिए दिल्ली के एम्स लाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले महीने अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पीड़िता और उसके परिजन सीआरपीएफ की सुरक्षा में दिल्ली में रह रहे हैं। दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश में अपनी जान को खतरा बताते हुए शीर्ष अदालत से दिल्ली में रहने की इच्छा जताई थी।
पीड़िता के साथ 2017 में दुष्कर्म हुआ था, उस समय वह नाबालिग थी। उन्नाव जिले के बांगरमऊ सीट से भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगा था। मामला सुर्खियों में आया तो भाजपा ने सेंगर को पार्टी से निकाल दिया।
दबंग नेता है सेंगर
कुलदीप सेंगर को इलाके का दबंग नेता माना जाता है। कहा जाता है कि पीड़िता को उसके खिलाफ केस दर्ज कराने में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी थी। सेंगर के परिजनों ने पीड़िता के पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उन्हें जेल में डाल दिया था। आरोप है कि पीड़िता के पिता की जेल में बुरी तरह पिटाई हुई थी और उसी के चलते अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।
केस दर्ज होने के बाद भी सेंगर की गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज पीड़िता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने पिछले साल आत्मदाह की कोशिश की थी।
हाई कोर्ट ने सीबीआइ को सौंपा मामला
दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिवार के साथ दबंग विधायक के अत्याचार की खबरें सुर्खियां बनी तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए मामले की जांच को सीबीआइ के हवाले कर दिया था। सीबीआइ ने पिछले साल दुष्कर्म मामले में सेंगर के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इसके बाद पिछले साल 13 अप्रैल को सेंगर को गिरफ्तार किया गया था।
सेंगर के खिलाफ दुष्कर्म का मामला विशेष अदालत में चल रहा है, लेकिन किसी जज के सुनवाई के लिए तैयार नहीं होने से मामला आगे नहीं बढ़ रहा है। न्याय के लिए पीड़िता ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई समेत कई शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखा है। पत्र में उसने सेंगर और उसके परिवार के सदस्यों से जान को खतरा बताया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान