1974 से चीन में प्रचलित बिना चीरा, बिना टाका पुरुष नसबंदी प्रदेश में 1994 से सफलतापूर्वक की जा रही है। 1998 में केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ फॉर ‘नो स्कैल्पल वैसेक्टमी (एनएसवी)’ बना। देश भर में इस तरह के 16 सेंटर खोले गए। इनमें से सिर्फ केजीएमयू का एनएसवी सेंटर ही चल रहा है
सेंटर के मास्टर ट्रेनर डॉ. नंदन सिंह डसीला खुद अब तक एक लाख उनतालीस हजार पुरुष नसबंदी ऑपरेशन कर चुके हैं। एनएसवी सेंटर में यह सुविधा निश्शुल्क है। जनसंख्या नियंत्रण की यह मुहिम देश की उन्नति में सहायक साबित हो रही है। उत्तराखंड के मूल निवासी मास्टर ट्रेनर डॉ. एनएस डसीला ने बताया कि शुरुआत में पुरुष नसबंदी के कम केस होते थे। धीरे-धीरे बढ़ते गए। एक अप्रैल, 2018 से अब तक 72 एनएसवी किए जा चुके हैं। उप्र और उत्तराखंड के अधिकतर गावों में लोगों के बीच जाकर उन्हें जागरूक किया है।
सीतापुर में मिली भारी स
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