प्रदेश सरकार बेनामी संपत्ति को लेकर केंद्र के कानून को हूबहू नहीं अपनाएगी। प्रदेश सरकार छोटी बेनामी संपत्तियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। केंद्र व अन्य राज्यों के बेनामी संपत्ति कानून का अध्ययन करने के बाद प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है। इसे जल्द ही मूर्त रूप देकर लागू करने की तैयारी की जा रही है।

उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद यहां सबसे अधिक अगर किसी चीज पर निवेश हुआ है, तो वह है जमीन खरीद का काम। सफेदपोश से लेकर माफियाओं तक का भारी पैसा जमीन की खरीद फरोख्त में लगा है। इनके नाम बेनामी संपत्ति होने का दावा सत्ता के गलियारों में किया जाता रहा है।
यहां तक कि सत्ता में रहते हुई कई नेताओं पर भी बेनामी संपत्ति जोडऩे के आरोप लगे हैं। सत्ता और विपक्ष के बीच कई बार यह आरोप-प्रत्यारोप का मुख्य केंद्र भी रहा है। इसे देखते हुए कुछ अरसा पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बेनामी संपत्ति पर नकेल कसने के लिए कानून बनाने की बात कही थी।
तब यह तय नहीं हुआ था कि प्रदेश सरकार केंद्र के कानून को हूबहू अपनाएगी या फिर नया कानून बनाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2006 में केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन एक्ट बनाया था। इसके जरिये बेनामी लेनदेन एक्ट 1988 में संशोधन कर इसे और मजबूत बनाया गया। एक्ट के तहत बेनामी संपत्ति के लेनदेन पर रोक है और बेनामी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal