उत्तर प्रदेश के आगरा में बैनारा फैक्टरी के पास चार बीघा जमीन पर कब्जा कराने के खेल में पर्दे के पीछे एक मंत्री का नाम आने से राजनीतिक पारा गर्म है। दूसरी तरफ मंत्री का साला जोंस मिल कांड की जांच में भूमाफिया साबित हो चुका है। साले ने कब्जे के आधार पर 305 वर्ग मीटर सरकारी भूमि 62 लाख में बेची थी।
आगरा के इतिहास में जीवनी मंडी में 2596 करोड़ रुपये की 100 बीघा से अधिक भूमि का सबसे बड़ा घोटाला हुआ था। 29 जुलाई 2020 को जमीन पर कब्जे के लिए मिल में विस्फोट हुआ। जिसके बाद तत्कालीन डीएम प्रभु एन सिंह ने आठ अधिकारियों की टीम से छह महीने तक जांच कराई।
इसमें जोंस मिल के मालिक जॉर्ज एंथनी जॉन के साझीदार मुन्नीलाल मेहरा, हीरालाल पाटनी और गंभीरमल पांड्या के वारिसों ने सरकारी, नजूल, नहर, नगर निगम, पुलिस व लीज भूमि को खुर्दबुर्द करने का खुलासा हुआ। जांच में मंत्री का साला सरदार कंवलदीप सिंह के साथ रज्जो जैन उर्फ राजेंद्र प्रसाद व हेमेंद्र अग्रवाल उर्फ चुनमुन भूमाफिया निकले। मंत्री के साले को पुलिस ने जेल भेजा।
अन्य लोगों की संलिप्तता की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई। इसके बाद सत्ता धारी के प्रभाव में जांच आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर हो गई। करीब दो साल से जांच ठप है। जोंस मिल कांड में कई माननीय का संरक्षण भूमाफिया को मिला। बदले में भूमाफिया ने माननीयों को जमीन उपहार में बांटी। माननीयों के नाम सार्वजनिक होने से पहले ही जांच दब गई।
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