उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं की पदोन्नति मामले में दायर कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद राज्य सरकार से कहा है कि वरिष्ठता के आधार पर इनकी एक प्रमोशन लिस्ट बनाकर याचिकाकर्ताओं को 22 सितंबर तक उपलब्ध कराएं। शिक्षकों के आंदोलन के बाद सरकार ने इस मामले को शीघ्र सुनवाई की मांग करते मैंशन किया था।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। प्रदेश के एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं की पदोन्नति के मामले में शिक्षक लंबे समय से सरकार से मांग कर रहें थे। इन मांगो को लेकर प्रदेश के 5000 शिक्षकों ने आंदोलन की चेतावनी दी । शिक्षकों के आंदोलन की घोषणा के बाद बीते दिन महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए लंबित मामलों पर जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2012 से शिक्षकों का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। जिसके चलते शिक्षकों की पदोन्नति और स्थानांतरण नहीं हो पा रहे हैं।
प्रदेश के हजारों नाराज शिक्षक आंदोलन पर चले गये हैं। आंदोलन के चलते स्कूल बंदी के कगार पर हैं। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षकों की तरफ से कहा गया कि प्रधानाचार्य पद की सीधी भर्ती को निरस्त किया जाए। इस पद को पदोन्नति से भरा जाए ना कि सीधी भर्ती से। क्योंकि वे वर्षों से कार्य करते आ रहे है। सरकार ने उनको इसका लाभ नही दिया गया। जिस पर अभी तक कोई विचार नही किया गया। जबकि कई शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो चुके है। उनको ग्रेच्युटी व पेंशन का लाभ मिल चुका है। उनकी भी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश भुवन चन्द्र कांडपाल के केस के आधार पर की जाय। क्योंकि सरकार ने उन्हें पदोन्नति दी है। इस मामले में त्रिविक्रम सिंह, लक्ष्मण सिंह खाती सहित अन्य ने याचिकाएं दायर की है।
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