देशव्यापी लॉकडाउन लंबा चलने के साथ ही दूर दराज से लॉकडाउन के सुखद प्रयोग की कई प्रेरणास्पद कहानियां सामने आ रही हैं। इसी क्रम में यमकेश्वर ब्लॉक में बीरकाटल गांव के युवाओं ने श्रमदान कर गांव के लिए चार सौ मीटर सड़क तैयार कर ली है। इनका लक्ष्य लॉकडाउन खत्म होने तक पूरी साढ़े तीन किमी सड़क बनाने का है।
यमकेश्वर ब्लॉक में बूंगा ग्राम पंचायत के खंड गांव बीरकाटल के लोगों को सड़क तक पहुंचने के लिए मोहनचट्टी तक साढ़े तीन किमी पैदल आना जाना पड़ता है। बम्जी जम्पिंग और कैम्पिंग पर्यटन के प्रमुख केंद्र इस इलाके की ऋषिकेश से दूरी महज 15 किमी है, इस कारण युवा ऋषिकेश से मोहनचट्टी तक तो अपने दोपहिया में आ जाते हैं लेकिन इससे आगे सड़क न होने से पैदल ही गांव जाना पड़ता है।
इधर, लॉकडाउन के चलते तमाम युवा इन दिनों अपने गांव लौट आए हैं। इस बीच लॉकडाउन को एक महीना पूरा होने पर ग्रामीणों ने खाली समय का इस्तेमाल गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए करने का निर्णय लिया। क्षेत्र पंचायत सदस्य और पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट की अगुवाई में ग्रामीणों ने बीते तीन दिन में करीब चार सौ मीटर सड़क तैयार कर ली है।
सुदेश भट्ट के मुताबिक मोहनचट्टी तक पूरी साढ़े तीन किमी सड़क बनाने का लक्ष्य है। लॉकडाउन की अवधि पूरी होने तक यह काम कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले दिन 22 ग्रामीण काम पर आए, दूसरे दिन संख्या 27 पहुंची जबकि तीसरे दिन तक 30 ग्रामीणों ने श्रमदान किया। पहले उक्त रास्ता पहले बेहद संकरा खच्चर मार्ग था, अब इसे दोपहिया जाने लायक सड़क के रूप में तैयार किया जा रहा है।
दो दशक का इंतजार
सुदेश भट्ट बताते हैं कि सड़क बनाने के लिए वो दो दशक से दौड़ भाग कर रहे थे। सांसद, विधायक लेकर अधिकारियों तक के चक्कर काटे। लोनिवि ने एक बार सर्वे भी किया, लेकिन सड़क पर काम शुरू नहीं हुआ। इसलिए ग्रामीणों ने किसी का इंतजार करने के बजाय खुद ही सड़क बनाने का बीडा उठाया, जो अब पूरा होने जा रहा है। ग्राम प्रधान अनीता देवी के मुताबिक सड़क होने से सबसे बड़ी सुविधा मोहनचट्टी अस्पताल तक मरीजों को पहुंचाने की होगी। ग्रामीण सोशल डिस्टेंस के मानकों का पालन करते हुए, श्रमदान कर रहे हैं।