अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में भी प्रदेश के छात्रों ने अपनी सफलता का परचम लहराया। ज्यादातर उन्हीं छात्रों ने एम्स एग्जाम में सफलता पाई है, जिन्होंने नीट क्लालिफाई किया था। एम्स प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों के पास इस बार कई अधिक विकल्प हैं। इस साल 1207 सीटों पर दाखिले किए जाएंगे। पिछले साल तक 907 सीटों पर प्रवेश दिया जाता था। एम्स की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में दून के एकता विहार निवासी अभिनव कुमार ने प्रदेश में शीर्ष स्थान हासिल किया है। उन्होंने 346 रैंक हासिल की है।
उनके पिता डॉ. भोला झा जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज पौड़ी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। हरिद्वार के पथरी क्षेत्र निवासी अमन जुयाल ने 583 रैंक हासिल कर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है। उनके पिता मनोज जुयाल राजकीय इंटर कॉलेज कमाद और मां अनीता जुयाल प्राइमरी विद्यालय कमाद में शिक्षिका हैं। अमन इससे पहले नीट में प्रदेश में सेकेंड टॉपर होने के साथ ही जीबी पंत विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में भी दूसरा स्थान हासिल कर चुके हैं। दून निवासी गर्वित प्रसाद को ऑल इंडिया 882वीं रैंक मिली है। खटीमा निवासी विकास कुमार साहनी ने ऑल इंडिया 1172वीं रैंक हासिल की। अन्य पिछड़ा वर्ग में उनकी 254वीं रैंक है। इस बार छह एम्स नए जुड़े हैं। इसमें कल्याणी, पश्चिम बंगाल, रायबरेली, भठिंडा, तेलंगाना, गोरखपुर, नागपुर स्थित एम्स शामिल हैं। सफल अभ्यर्थी नई दिल्ली, भोपाल, भुवनेश्वर, जम्मू, भठिंडा, गुजरात, हैदराबाद, देवघर, रायपुर, पटना, गोरखपुर, जोधपुर, कल्याणी, मंगलागिरी, नागपुर, रायबरेली, ऋषिकेश, तेलंगाना समेत कुल 15 एम्स में एमबीबीएस में दाखिला ले सकेंगे।
एम्स टॉपर अभिनव कैंसर विशेषज्ञ बनना चाहते हैं- कैंसर का इलाज काफी लंबा चलता है। इस पर खर्च भी ज्यादा आता है। वहीं पीड़ित व्यक्ति को काफी तकलीफ सहनी पड़ती है। एम्स की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में प्रदेश में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले अभिनव कुमार इस स्थिति से काफी व्यथित हैं। वह चाहते हैं कि कैंसर विशेषज्ञ बनकर इस रोग से पीडि़त लोगों के लिए सस्ता व सुलझ उपचार मुहैया कराया जा सके। बोर्ड परीक्षा निपटने के बाद जनरल नॉलेज व एप्टीट्यूट एंड लॉजिकल थिंकिंग पर अपना ध्यान केंद्रित किया। क्योंकि ये सेक्शन एम्स प्रवेश परीक्षा का अभिन्न हिस्सा हैं। मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों से यही कहूंगा कि एनसीईआरटी की किताबों पर पूरा ध्यान दें। पिछले वर्षों के ज्यादा से ज्यादा सवालों को हल करें। पांच साल एमबीबीएस करने के बाद कैंसर के उपचार में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं।
अभिनव का परिवार सहस्रधारा रोड स्थित एकता विहार में रहता है। पिता डॉ. भोला झा जीबी पंत इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज पौड़ी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और मां मधु गृहणी। अभिनव ने इसी साल दून इंटरनेशनल से 97 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं की। स्कूल की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने मेडिकल की भी तैयारी शुरू कर दी थी। पढ़ाई को लेकर कोई फिक्स्ड शेड्यूल नहीं बनाया था। मन मुताबिक पढ़ता था। इस बात का ध्यान जरूर रखा कि हर विषय को बराबर समय दे सकूं। मुझे लगता है कि स्कूल टाइम से ही नियमित पढ़ाई किसी भी परीक्षा में अच्छे अंकों से सफल होने के लिए जरूरी है।