भारत-चीन सीमा क्षेत्र की विषम परिस्थितियों में जहां निर्माण कार्य आसान नहीं, वहां बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) विषम परिस्थितियों में विकास की इबारत लिख रहा है। सीमा क्षेत्र में अब तक तीन पुलों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया हैं। इनमें से एक पुल का लोकार्पण होना है।
तीन अन्य निर्माणाधीन हैं, जिससे अग्रिम चौकियों तक सेना की पहुंच आसान हो जाएगी। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध की गवाह नेलांग-जादूंग घाटी क्षेत्र में केंद्र सरकार सड़क सुधार और पुल निर्माण पर विशेष ध्यान दे रही है। यही वजह है कि यहां अब सीमा क्षेत्र में अग्रिम चौकियों तक पक्की और अच्छी सड़कें बनाई जा रही हैं।
वहीं, किसी भी मौसम में सेना की पहुंच को आसान बनाने के लिए डबल लेन स्टील गार्डर पुलों का निर्माण कार्य भी जोरों पर है।भैरोंघाटी से लेकर नेलांग के बीच छह में से तीन पुलों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। इनमें से एक पुल का लोकार्पण जल्द किया जाएगा, जबकि एक पुल का 90 फीसदी तक पूरा कर लिया गया है।
वहीं, दो अन्य का निर्माण जारी है। यहां पर निर्माण आसान नहीं है। सड़क से लगी गहरी खाई और तेज हवाओं के बीच जहां आदमी ज्यादा देर खड़ा नहीं हो सकता, वहां विषम परिस्थितियों में बीआरओ के इंजीनियर और श्रमिक पुल का ढांचा खड़ा करने से लेकर पुल जोड़ने के कार्य को अंजाम देने में लगे हैं। इससे यहां आने वाले समय में सेना की पहुंच आसान होने की उम्मीद है। वहीं, केंद्र की वाइब्रेंट विलेज योजना में आबाद करने वाले जादूंग गांव तक पर्यटकों की पहुंच भी आसान बनाएगी।
जादूंग तक इंटरलॉकिंग कंक्रीट ब्लॉक से बनेगी सड़क
बीआरओ जादूंग तक इंटरलॉकिंग कंक्रीट ब्लॉक फुटपाथ (आईसीबीटी) से सड़क निर्माण की योजना बना रहा है। बीआरओ के अफसरों का कहना है कि ब्लैक टॉप की सड़क बर्फबारी में नहीं टिक पाती, इसलिए जादूंग तक इंटरलॉकिंग ब्लाॅक से सड़क निर्माण बनाई जाएगी। इसके लिए एस्टीमेट तैयार करने की योजना बनाई जा रही है।
नेलांग घाटी में छह में से तीन डबल लेन स्टील गार्डर पुलों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। दो पुल निर्माणाधीन है। एक अन्य का काम 90 फीसदी पूरा कर लिया गया है। विषम परिस्थितियों में भी जोश के साथ काम जारी है।