सैन डिएगो, अमेरिका में आयोजित सम्मेलन में सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (SVNIT) सूरत की टीम ने माइक्रो वायल ईंधन सेल द्वारा संचालित केम-ई-कार के लिए ‘बेस्ट यूज ऑफ बायोलॉजिकल रिएक्शन अवार्ड’ जीता।
अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग द्वारा आयोजित इस वार्षिक छात्र सम्मेलन में विश्वभर के 1700 छात्र, केमिकल कंपनियों के प्रतिनिधि, और विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर शामिल हुए। सम्मेलन में केमिकल इंजीनियरिंग आधारित केम-ई-कार प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें छात्रों को केमिकल इंजीनियरिंग सिद्धांतों का उपयोग करके कार को चलाना था।
एसवीएनआईटी सूरत के छात्र देवल मेहता (उज्जैन), हिमांशु सिंह (उत्तर प्रदेश) और घिवली कोठियां (गुजरात) ने भारत और दक्षिण एशिया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने माइक्रोवायल ईंधन सेल पर आधारित टिकाऊ और जल-सक्षम केम-ई-कार का निर्माण किया, जिसमें जैविक प्रतिक्रियाओं का प्रभावी उपयोग किया गया। इस चुनौतीपूर्ण प्रतियोगिता में विश्व की शीर्ष 51 टीमों ने भाग लिया, जिनमें से 16 टीमें अपनी केम-ई-कार को स्टार्ट ही नहीं कर पाईं। भारतीय टीम की कार ने पहले प्रयास में 15 मीटर और दूसरे प्रयास में 20 मीटर की दूरी तय की, जो जैविक पद्धति पर आधारित थी और इसे सर्वश्रेष्ठ निर्माण का पुरस्कार मिला।
एसवीएनआईटी सूरत के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के 6 छात्रों ने पहले सूरत में आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया, इसके बाद IIT बॉम्बे में भी प्रथम स्थान हासिल किया। राष्ट्रीय स्तर पर राउरकेला, ओडिशा में आयोजित केमिकल कार प्रतियोगिता में भी उन्होंने 21 मीटर दूरी तक कार चलाकर पहला स्थान प्राप्त किया। एआईसीएचई ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने का निमंत्रण भेजा।
अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियर्स (एआईसीएचई) की स्थापना 1908 में हुई थी और इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है। उज्जैन निवासी देवल मेहता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. कांतिलाल मेहता के पौत्र हैं, SVNIT सूरत से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं।