ईरान पर भारी पड़ी पश्चिमी देशों की लॉबिंग, पीछे खींचे कदम

ईरान ने वियना में चल रहे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के वार्षिक सम्मेलन में उस प्रस्ताव को अचानक से वापस ले लिया जिसमें परमाणु संयंत्रों पर हमले रोकने की मांग की गई थी। चीन, रूस और कई सहयोगी देशों के समर्थन के बावजूद ईरान को यह कदम अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के चलते उठाना पड़ा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

इस मामले में पश्चिमी राजनयिकों की माने तो अमेरिका ने पर्दे के पीछे से ईरान के इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और प्रस्ताव पास होने की स्थिति में आईएईए की फंडिंग में कटौती की चेतावनी दी थी। अमेरिका को डर था कि अगर प्रस्ताव पास हुआ, तो इससे इस्राइल की स्थिति कमजोर हो सकती है, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगातार हमले करता रहा है।

प्रस्ताव में ईरान पर हमले की निंदा
बता दें कि प्रस्ताव के मसौदे में जून 2025 में ईरान की परमाणु साइटों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की गई थी और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया गया था। ईरान ने कहा था कि उसकी परमाणु गतिविधियां शांतिपूर्ण हैं, लेकिन इस्राइल और अमेरिका को शक है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करना चाहता है। आईएईए में ईरान के राजदूत रजा नजाफी ने कहा कि कुछ सदस्य देशों के अनुरोध पर और सद्भावना के साथ, हमने इस प्रस्ताव पर कार्रवाई अगली बैठक तक स्थगित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्ताव का उद्देश्य किसी में विभाजन पैदा करना नहीं, बल्कि एक स्पष्ट और एकजुट संदेश देना था।

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