जोधपुर में रहने वाले चल्ला सोमसुंदरम ने 83 वर्ष की उम्र में अमेरिका के एक संस्कृत विश्वद्यिालय से पीएचडी की है। उनके बेटे प्रो. सीवीआर मूर्ति आईआईटी जोधपुर में डायरेक्टर हैं और सोमसुंदरम को उन्हीं से शोध करने की प्रेरणा मिली।
शोध के लिए उन्होंने 14-15 घंटे तक अध्ययन किया। सोमसुंदरम 1991 में रेलवे से रिटायर हुए। इसके बारह साल बाद उन्होने एम.ए. किया और चार साल पहले पीएचडी शुरू कर दी।
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खास बात यह है कि उनके बेटे प्रो. मूर्ति ही उनकी थीसिस टाइप करते थे, क्योंकि मूर्ति के पास टाइप करने वाला कोई नहीं था। प्रो.मूर्ति रात-रात भर जागर उनकी थीसिस टाइप करते थे और इसे सम्पादित भी करते थे।
उन्होंने ज्योतिष में ही एम.ए किया और इसी से जुड़े एक विषय मे पीएचडी भी की। अमेरिका के योग संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो.एम.वी.आर्यराज उनके गाइड थे।
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