मध्य प्रदेश में ओबीसी पिछड़ा वर्ग आरक्षण से संबंधित समस्त याचिकाओं की 29 जनवरी को पुनः सुनवाई 2:30 बजे से की गई। इसमें आदेश को रीकॉल करने हेतु शासन पक्ष की ओर से आवेदन प्रस्तुत किया गया है । पिछड़ा वर्ग की ओर से कोर्ट को रिप्रजेंट करने वाले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, उदय साहू को चीफ जस्टिस ने आगामी सुनवाई 12 फरवरी को पिछड़ा वर्ग का पक्ष सुनने का अाश्वासन दिया है ।
खुली कोर्ट में पिछड़ा वर्ग के अधिवक्ताओं ने कहा कि शासन पिछड़ा वर्ग के हितों में नीतियां बनाता है लेकिन एडवोकेट जनरल ऑफिस नहीं चाहता कि पिछड़ा वर्ग को 27% का लाभ मिले। शासन पक्ष की ओर से इन प्रकरणों में समुचित पक्ष रखा गया होता तो स्थगन जैसी स्थिति निर्मित न होती।
चीफ जस्टिस को अवगत कराया गया कि 2011 की जनगणना के आंकड़े शासन ने कोर्ट में प्रस्तुत किये हैं जिसके अनुसार प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50.9% है यदि 27% आरक्षण कर भी दिया है तो इसमें गलत क्या है लेकिन 10 माह व्यतीत होने के बाबजूद भी प्रस्तुत नही किया जा रहा है ।
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अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में 8.3.2019 से ओबीसी को 27% आरक्षण लागू हो चुका है परंतु हाई कोर्ट ने अभी तक लागू नही किया
समस्त याचिकाओ में चीफ जस्टिस ने ओबीसी अधिवक्ताओं को समुचित सुनवाई करने का आश्वासन दिया है तथा कहा है कि आप सभी का समुचित पक्ष सुनने के बाद ही कोई आदेश करेंगे तथा 28.1.2020 को पारित स्थगन रीकॉल करने का भरोसा दिया गया ।
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