सावन में शिव जी की आराधना में कई तरह के मंत्रों का उपयोग किया जाता है। जिनके जाप से शिव जी साधक की समस्त मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। शिव पुराण में कई मंत्रों का वर्णन किया गया है, लेकिन पुराणों में एक मंत्र जाप के बारे में बताया गया है, जो शिव शंकर को बहुत प्रिय है। इस मंत्र का जाप करने वाले पर भगवान शंकर हमेशा प्रसन्न रहते हैं और कभी भी उसे किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आने देते। तो आईए जानतें हैं इस मंत्र का बारे में-
शास्त्रों में कहा गया है कि ॐ शब्द से भगवान शिव विष्णु और ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे। सृष्टि के प्रारंभ में एक ध्वनि गूंजी जो थी ॐ, पूरे ब्रह्मांड में इसकी गूंज फैल गई। जिस कारण इस मंत्र को बाकि सभी मंत्रों का बीज मंत्र और ध्वनियों और शब्दों की जननी कहा जाता है। ॐ शब्द ओ उ म से मिलकर बना है, ओ का अर्थ आन्तरिक ऊर्जा से है, उ का अर्थ उच्चता को प्राप्त करना, म का अर्थ मौन रहकर ब्रम्हांड में लीन होना, इस मंत्र के विषय में ऐसा कहा जाता है कि इसके रोज़ाना जाप से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है और रोग-तनाव से छुटकारा प्राप्त होता है इसलिए ज्योतिष शास्त्र में इसके जाप करने की सलाह दी गई है। वहीं वास्तुविदों का भी मानना है कि इसके प्रयोग से घर में मौजूद वास्तुदोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।
हिंदू धर्म में ॐ सबसे बड़ा प्रतीक माना गया है। इसका जाप करके भगवान शिव जी की साधना की जाती है। राक्षस तक शिव का आवाहन इसी मंत्र से करते हैं। तो वहीं ऋषि मुनि ॐ के साथ मंत्र का उच्चारण करते हैं।लेकिन इस मंत्र को इतना खास क्यों माना जाता है। क्यों राक्षस ऋषि साधु संत ज्ञानीअ इंसान और कई जगह पत्थर, पहाड़ और नदियों में से भी ॐ के जाप की ध्वनि सुनाई देती है। क्यों प्रकृति का हर जीव ॐ का जाप करता है। आखिर इसमें एेसी कौन सी महाशक्ति छुपी है।
तो आईए आज हम आपको आपके इन सभी सवालों का जवाब के साथ-साथ इसके जाप से होने वाले फायदों के बारे में बताएं।