महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri 2020): महाशिवरात्रि इस बार 21 फरवरी 2020 (शुक्रवार) को शिवरात्रि मनाई जाएगी. इस साल की शिवरात्रि को काफी ख़ास माना जा रहा है. महाशिवरात्रि के दिन भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं और महाशिवरात्रि की कथा सुनते हैं. कथा के बिना कोई भी व्रत अधूरा माना जाता है. यहां पढ़ें महाशिवरात्रि व्रत की कथा…
महाशिवरात्रि व्रत की कथा:
बहुत समय पहले की बात है जब वाराणसी के जंगल में एक भील निवास करता था. उस भील का नाम गुरुद्रुह था. वह जंगली जानवरों का शिकार कर अपना परिवार का लाला पालन करता था. एक बार शिवरात्रि पर वह शिकार करने वन में गया. उस दिन उसे दिनभर कोई शिकार नहीं मिला और रात भी हो गई. तभी वो झील के किनारे पेड़ पर ये सोचकर चढ़ गया कि कोई भी जानवर पानी पीने आएगा तो शिकार कर लूंगा. वो पेड़ बिल्ववृक्ष (बेल वृक्ष) था और उसके नीचे शिवलिंग स्थापित था.
वहां एक हिरनी आई. शिकारी ने उसको मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे. इस प्रकार रात के पहले प्रहर में अनजाने में ही उसके द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई. हिरनी भी भाग गई.
फिर हिरण अपने झुंड के साथ वहां पानी पीने आया सबको एक साथ देखकर शिकारी बड़ा खुश हुआ और उसने फिर से अपने धनुष पर बाण चढ़ाया, जिससे चौथे प्रहर में पुन: शिवलिंग की पूजा हो गई.
इस तरह शिकारी दिनभर भूखा-प्यासा रहकर रात भर जागता रहा और चारों प्रहर अनजाने में ही उससे शिवजी की पूजा हो गई, जिससे शिवरात्रि का व्रत पूरा हो गया. इस व्रत के प्रभाव से उसके पाप भस्म हो गए और पुण्य उदय होते ही उसने हिरनों को मारने का विचार छोड़ दिया.
तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उन्होंने शिकारी को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे. तुम्हें मोक्ष भी मिलेगा. इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया.