राज्य सरकार पांचवीं और आठवीं को बोर्ड परीक्षा घोषित करने की तैयारी कर रही है। स्कूल शिक्षा विभाग का यह प्रस्ताव प्रशासकीय स्वीकृति के लिए मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के पास पहुंच गया है। मंत्री की स्वीकृति के बाद विभाग 28 फरवरी से प्रस्तावित दोनों परीक्षाओं को बोर्ड आधारित करा सकता है। पिछले तीन साल से यह परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर कराई जा रही हैं। ताकि अचानक बोर्ड होने पर विद्यार्थियों को बोर्ड का डर न सताए।
इस फैसले से करीब सात लाख बच्चे प्रभावित होंगे। केंद्र सरकार ने ‘नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)” की धारा-30 में संशोधन कर दिया है। अब राज्य सरकारें चाहें, तो पांचवीं-आठवीं परीक्षा को बोर्ड घोषित कर सकती हैं। यह अधिकार मिलते ही सरकार ने दोनों परीक्षाओं को बोर्ड घोषित करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
राज्य शिक्षा केंद्र को बोर्ड परीक्षा के हिसाब से तैयारी रखने को कहा गया है। उधर, प्रस्ताव मंत्री के पास पहुंच गया है। विभाग के अफसरों को मंत्री के अनुमोदन का इंतजार है। अनुमोदन के साथ ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। इसे देखते हुए परीक्षा की प्रस्तावित तारीख में परिवर्तन भी किया जा सकता है।
27 राज्यों की थी मांग
आरटीई कानून 2010 में देश में लागू किया गया है। कानून की धारा-30 में पहली से आठवीं तक बच्चों की परीक्षा लेने और उन्हें फेल करने पर प्रतिबंध है। इसके तहत बच्चों का सिर्फ मूल्यांकन किया जा सकता है। यही कारण है कि राज्य सरकार वर्ष 2009 से परीक्षा के बजाय मूल्यांकन कर रही है। शुरुआत में दसवीं का रिजल्ट बिगड़ा तो अफसरों को कानून में संशोधन की याद आई। तब मप्र सहित 27 राज्यों ने केंद्र सरकार से कानून में संशोधन कर परीक्षा कराने के अधिकार मांगे। इसे लेकर केंद्रीय स्तर पर कमेटी बनी। जिसकी लगातार बैठकें हुईं और आखिर सरकार ने राज्य सरकारों की जरूरत पर फैसला छोड़ दिया।