इसलिए कन्या भोज के समय बालक का होना भी होता है जरुरी

नवरात्री के पूरे नौ दिन देवी मां के अलग-अलग रूपों को पूजा जाता है। इस बार शारदीय नवरात्री की शुरुआत 10 अक्टूबर से होने जा रही है। नवरात्री के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सांतवे दिन कालरात्रि, आंठवे दिन महागौरी और सबसे आखिर में यानी नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती हैं।
देवी का रूप है कन्याएं:
नवरात्री में सभी लोग छोटी-छोटी कन्याओं को देवी मां के रूप में पूजते हैं। भक्जन अपने घर में कन्याओं को बुलाकर उनकी पूजा करते हैं और उन्हें खाना खिलाते हैं। इन दिनों में लोग अपने घरों में 9 कन्याओं को पूजते हैं। ऐसा इसलिए क्योकि देवी के पूरे 9 रूप होते हैं और 9 कन्याओं को भी 9 देवी के रूप में पूजा जाता है।
बालक होना भी है जरुरी:
लेकिन 9 कन्याओं के साथ एक बालक भी होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योकि बालक को हनुमान जी का रूप माना जाता है और जिस प्रकार से मां की पूजा भैरव बाबा के दर्शन किये बिना अधूरी होती है ठीक उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है। इसलिए कन्याभोज के समय 9 कन्याओं के साथ एक बालक का होना अच्छा माना जाता है।

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