इमरान खान ने एक बार फिर दुनिया को अपने झूठे जाल में फसाने की करी कोशिश…

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर से दुनिया को अपने झूठ के जरिये भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिश की है। ये कोशिश उन्‍होंने एक एजेंसी को दिए इंटरव्‍यू के दौरान की है। इस्‍लामाबाद में दिए गए इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने भारत सरकार द्वारा देश में लागू किए गए नागरिकता संशोधन कानून पर न सिर्फ सवाल उठाया है बल्कि केंद्र पर झूठे और बेबुनियाद आरोप तक लगाए हैं। आपको बता दें कि इमरान का ये चौथा ऐसा इंटरव्‍यू है जो उन्‍होंने किसी न्‍यूज एजेंसी को दिया है और जिसमें भारत पर आरोप लगाए हैं। इससे पहले अलजजीरा, डाइचेवेले, रशिया टूडे को भी वो इसी तरह का इंटरव्‍यू दे चुके हैं।

मौजूदा इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा है कि भारत में भाजपा शासित केंद्र सरकार म्‍यांमार स्‍टाइल में अल्‍पसंख्‍यकों का नरसंहार कराने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि भारत के नए नागरिकता संशोधन कानून से वहां पर रहने वाले करीब 50 करोड़ मुसलमानों को बाहर निकालना चाहती है। एनआरसी के तहत मोदी सरकार इस काम को अंजाम देना चाहती है। इमरान खान ने कहा है कि म्‍यांमार में जिस तरह से पहले रजिस्‍ट्रेशन कानून आया और उसके बाद वहां के मुसलमानों को अलग कर दिया गया और उनका कत्‍ल किया गया वही योजना अब मोदी सरकार बना रही है।

इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने ये भी कहा है कि भारत में जो कुछ हो रहा है उससे पूरी दुनिया चिंतित है। उन्‍होंने ये मसला तुर्की के सामने भी उठाया था। इसके अलावा अफगानिस्‍तान के मसले पर भी तुर्की से बातचीत हुई थी। ये सवाल पूछे जाने पर कि सीएए के लागू होने के बाद यदि भारत से पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश में वहां के नागरिक आते हैं तो क्‍या होगा। उनका कहना था कि बांग्‍लादेश इसके लिए पहले ही साफ कर चुका है कि वह किसी नागरिक को अपने यहां पर नहीं आने देगा। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा हालात से बांग्‍लादेश काफी चिंतित है। उन्‍होंने ये भी कहा कि बांग्‍लादेश में एनआरसी से दो लाख लोगों का नाम बाहर किए जाने के बाद क्‍या होगा इसका जवाब उनके पास फिलहाल नहीं है।

आपको यहां पर बता दें कि भारत सरकार की तरफ से इस बात को कई बार सार्वजनिक मंच से कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून पड़ोसी देशों से आए अल्‍पसंख्‍यकों को नागरिकता देने के लिए है न कि देश में रह रहे अल्‍पसंख्‍यकों की नागरिकता छीनने के लिए ये कानून बनाया गया है। केंद्र सरकार ये भी साफ कर चुकी हैं कि असम में जारी एनआरसी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही लागू किया गया है जो केवल वहां मौजूद घुसपैठियों की पहचान करने और उन्‍हें बाहर निकालने के लिए है। हाल ही में यूरोपीय संसद में इसके खिलाफ आए प्रस्‍ताव को लेकर भी लोकसभा के अध्‍यक्ष ओम बिड़ला ने वहां की संसद के अध्‍यक्ष को एक पत्र लिखकर इसको अंदरुणी मामला बताया था। साथ ही उन्‍होंने ये भी स्‍पष्‍ट किया था कि ये नागरिकता छीनने के लिए कानून नहीं बना है।

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और युद्ध की आंशका को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि कूटनीतिक रास्‍तों के जरिए फिलहाल इस क्षेत्र से युद्ध के बादल को छंट गए हैं, लेकिन तनाव फिर भी कायम है। इमरान ने ये भी कहा कि उन्‍होंने इस संबंध में पूरी कोशिश की है, जिसका परिणाम इस क्षेत्र में देखने को मिला है।हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा कि इस मुद्दे का एक स्‍थायी समाधान निकालने की जरूरत है। ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव को लेकर उनका बयान किस कदर झूठ पर टिका है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते 24 घंटों के अंदर ही ईरान ने अमेरिकी ठिकानों पर कई हमले किए हैं जिसमें साठ से अधिक जवान घायल हुए हैं। खुद पाकिस्‍तान मीडिया इस बात की तसदीक कर रहा है। इतना ही नहीं पाक मीडिया ने अमेरिकी हवाले से ये खबर अपने डिजिटल संस्‍करण में भी प्रकाशित किया है। दूसरी तरफ भारत की बात करें तो ईरान और अमेरिका दोनों ने ही इस बात को सार्वजनिकतौर पर कहा था कि अमेरिका-ईरान के तनाव पर वह भारत की राय और मश्‍विरे का स्‍वागत करेंगे।

अपने इस इंटरव्‍यू में इमरान ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिसमें अमेरिकी उच्‍च अधिकारी ने पाकिस्‍तान पर चीन के आर्थिक कॉरिडोर का साथी बनने के बाद कर्ज में डूबने की बात कही थी। उन्‍होंने कहा कि ये बात सरासर बकवास है कि इस आर्थिक कॉरिडोर के बाद पाकिस्‍तान चीन के कर्ज के चंगुल में फंस कर रह गया है। पाकिस्‍तान प्रधानमंत्री के इस जवाब से इतर आपको बता दें कि अमेरिका ने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि आर्थिक कॉरिडोर उसके विकास का नहीं बल्कि आर्थिक बर्बादी का कॉरिडोर है। इसकी वजह पाकिस्‍तान कर्ज के नीचे इस कदर फंस कर रह गया है कि इस कर्ज को चुकाने के लिए उसको कर्ज लेना पड़ा है। इतना ही नहीं इस कर्ज का असर साफतौर पर मौजूदा पाकिस्‍तान में दिखाई दे रहा है जहां महंगाई अपने चरम पर है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिकी अधिकारी ने यहां तक कहा था कि चीन पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरिडोर में चीन ने अपनी ही कंपनियों को निर्माण के ठेके दिए हैं जबकि पाकिस्‍तान से केवल सस्‍ती लेबर ही ली है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्‍तान इमरान के शासन में सबसे जबरदस्‍त महंगाई सहने को मजबूर है।

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