इन शुभ योग में हुई मार्गशीर्ष माह की शुरुआत

आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रात्रि 11 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 16 November 2024) और राहुकाल का समय जानते हैं।

आज शनिवार का दिन है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान शनि को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो भक्त इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (Saturday Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं –

Aaj Ka Panchang 16 November 2024: आज का पंचांग –

पंचांग के अनुसार, आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रात्रि 11 बजकर 49 मिनट तक रहेगी।

ऋतु – शरद
चन्द्र राशि – वृषभ
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 32 मिनट पर
चन्द्रोदय – शाम 05 बजकर 43 मिनट पर
चन्द्रास्त – सुबह 07 बजकर 09 मिनट पर

शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग – रात्रि 07 बजकर 28 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 45 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग – रात्रि 07 बजकर 28 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 45 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक।

अशुभ समय
राहु काल – 09 बजकर 45 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 58 मिनट तक।
दिशा शूल – पूर्व

ताराबल
भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती।

चन्द्रबल
वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन।

शनि देव पूजन मंत्र

  1. ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
  2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
    तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।
  3. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

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