इन प्रमुख 7 पड़ावों को पार करके मिलता है सच्चा प्यार, इनके बीच ही दम तोड़ देते हैं कई रिश्ते

जॉन अब्राहम का ये गाना सुनने में भले ही बेहद रोमांटिक लगता हो लेकिन वास्तविकता से इसका कोई संबंध नहीं। न तो एक नज़र में सच्चा प्यार किया जा सकता है, न ही दो बातों में उसका इजहार। सच्चा प्यार कोई खेल नहीं बल्कि एक अहसास है, जो समय के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ता है और कई पड़ावों को पार करने के बाद हासिल होता है।

इन पड़ावों को केवल वो ही कपल्स पार कर पाते हैं जिनकी फीलिंग्स जेनुअन होती है। फेक या शॉर्ट टर्म अटैचमेंट वाले रिश्ते इन पड़ावों के बीच ही दम तोड़ देते हैं। जो कपल इन 7 खास स्टेजेस को सक्सेसफुली पार कर लेते हैं, वो ही सच्चा प्यार पाने में कामयाब होते हैं। अगर आप भी अपने लवर को लाइफ पार्टनर बनाना चाहते हैं तो फिर इन 7 पड़ावों से पहले रिश्ते को हारने न दें।

‘अहसास’ किसी भी रिश्ते की पहली स्टेज होती है। जब सभी को छोड़ एक खास शख्सियत पर निगाहें थम सी जाती हैं। उसे देखकर मन ही मन मुस्कुराने को दिल करता है और उससे बातें करते हुए वक्त कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता। ऐसे ही छोटे-छोटे अहसास सच्चे प्यार का पहला पड़ाव होते हैं।

फॉरएवर वाली फिलिंग

किसी भी रिश्ते के शुरुआती दौर में सबकुछ परफेक्ट लगता है। सामने वाले की हर बात सच्ची लगती है। दिल कहता है मानो अब तो बस जो भी है, यही है। इसके आगे और इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। लेकिन कहते हैं न हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। इसी तरह शुरुआत में जग से प्यारा लगने वाला रिश्ता असल में कितना खरा है, ये तो वक्त के साथ ही पता चलता है। खैर रिश्ते का अंजाम चाहे जो भी हो लेकिन ये स्टेज लगभग हर कपल की जिंदगी में आती ही है।

प्यार के अहसास और दीवानगी के बाद आती है कमिटमेंट की बारी। जब रिश्ते को दोस्त से आगे बढ़कर रिलेशनशिप का नाम मिलता है। कुछ लोग शो-ऑफ के लिए अपने रिश्ते की कहानी सभी को सुनाते हैं, वहीं कुछ छुप-छुपकर प्यार जताने में विश्वास रखते हैं। ये स्टेज जितनी प्यारी है, उतनी ही खतरनाक भी। क्योंकि इसी पड़ाव में अधिकांश कपल रिश्ते को संभालने में नाकामयाब होते हैं और प्यार गंवा बैठते हैं। इनसे परे जो कपल कमिटमेंट को निभाने में सफल होते हैं, वे सच्चे प्यार के एक कदम और करीब पहुंच जाते हैं।

केयरिंग एंड शेयरिंगये स्टेज एक तरीके से कमिटमेंट का ही हिस्सा है। कमिटमेंट में जहां एक ओर रिश्ते को लेकर जिम्मेदारी आती है, वहीं दूसरी ओर बेइंतहा प्यार और परवाह जैसी चीजों का भी अहसास होता है। कमिटमेंट के शुरुआती दौर में हर कोई अपने पार्टनर को बेहद स्पेशल फील करवाना चाहता है। हर छोटी-छोटी बात पर चिंता जताता है और हर बात खुलकर शेयर करता है। रिलेशनशिप के इन गोल्डन रूल्स को फॉलो करने वाले कपल्स को अगली स्टेज में जाने का मौका मिलता है।
तो क्या सब खत्म हो गया?
ये पड़ाव फेयरी टेल में विलेन का काम करती है। जब सब कुछ बदला-बदला लगता है। चाहे हर चीज पहले की ही तरह हो या सिचुएशन की वजह से अस्थिर बदलाव आए हों. लेकिन टेंशन काफी ज्यादा होती है। तुंरत फोन न उठाना या मैसेज का रिप्लाई देर से करना, ऐसी छोटी-छोटी बातों का बड़ा बतंगड़ बनने लगता है और जान से प्यारा रिश्ता जी का जंजाल बन बैठता है। 
डिजिटल नहीं रियल लव की वैल्यू 
इस पड़ाव में वो कपल प्रवेश करते हैं जो सच में अपने रिश्ते को बचाना चाहते हैं। जिनके लिए किसी भी लड़ाई या अहंकार से बढ़कर अपना पार्टनर होता है। तब दो लोग समस्याओं से आगे बढ़कर समाधान पर ध्यान देते हैं और बिगड़ी चीजों को फिर संवारने में लग जाते हैं। इस स्टेज में एक-दूसरे की वेल्यू कई गुना बढ़ जाती है और रिश्ता पहले से काफी मजबूत हो जाता है।
यही है सच्चा प्यार
जिस तरह सोना तपने के बाद ही अपना अस्तित्व पाता है, उसी तरह एक रिश्ता तमाम उतार-चढ़ाव पार करने के बाद सच्चाई का रूप लेता है। जो कपल ऊपर बताए सभी पड़ावों को पार करने में सफल होता है, उसका रिलेशनशिप सच्चे प्यार की मिसाल बनता है।

अलग-अलग कपल के लिए इन पड़ावों का क्रम शायद ऊपर-नीचे हो सकता है, लेकिन ‘प्यार के अहसास’ से ‘सच्चे प्यार’ तक के सफर में इन सभी स्टेजेस का सामना करना ही पड़ता है।

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