आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम: पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम

अधीर रंजन से पहले कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगाने को लेकर नाराजगी जाहिर की.

चिदंबरम ने कहा, ‘उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं. आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम है.

जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?’

हालांकि, सरकार का कहना है कि 6 नेताओं ने उनके नियमों और शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था, इसलिए उन पर पीएसए लगाया गया है.

दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में रखा गया था.

जिसके बाद सरकार ने एक बॉन्ड पर सिग्नेचर कराकर कई नेताओं को रिहा किया गया. लेकिन फारूक, उमर, महबूबा समेत 6 नेताओं ने इस बॉन्ड पर सिग्नेचर करने से इनकार कर दिया था.

जिसके बाद उन पर पीएसए लगाया गया. यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी. उमर और महबूबा को उनके घर पर शिफ्ट करके नजरबंद कर दिया गया है.

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