एशिया के सबसे बड़े धनकुबेर और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के प्रमुख मुकेश अंबानी ने सोमवार को कहा कि देश को डिजिटल सोसाइटी में तब्दील करना रिलायंस जियो का प्रमुख मकसद है। इस डिजिटल सोसाइटी में हर तरह के उद्योग शामिल रहेंगे। वर्तमान वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह द्वारा लिखित एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर अंबानी ने बताया कि रिलायंस जियो उनके पिताजी धीरूभाई अंबानी से पूछे गए एक सवाल का जवाब है। उनसे पूछा गया था कि क्या कभी ऐसा वक्त आएगा जब भारतीय आपस में पोस्टकार्ड जितने खर्च पर बात कर सकेंगे।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान कारोबारी नीतियों और जरूरतों में बदलाव की ओर इशारा करते हुए अंबानी का कहना था कि देश में आर्थिक उदारीकरण से पहले एक ऐसा भी दौर था जब रिलायंस को अधिक उत्पादन करने के लिए दंडित किया गया था। लेकिन आज के दौर में हर तरफ उत्पादन बढ़ाने की बात हो रही है। आत्मनिर्भर भारत के तहत सरकार उत्पादन बढ़ाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन भी दे रही है।
एक वक्त हम अधिक उत्पादन पर प्रतिबंध के चलते 20-30 हजार टन पॉलिस्टर उत्पादन में भी संघर्ष कर रहे थे। लेकिन उदारीकरण के बाद उत्पादन को बढ़ावा देने का ही प्रतिफल है कि कोरोना संकट के इस दौर में किसी भी अन्य देश के मुकाबले अत्यंत कम समय में हम पीपीई किट के निर्माण में सक्षम रहे हैं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पॉलिस्टर उत्पादक है। हमें मैन्यूफैक्चरिंग के बारे में दोबारा विचार करना होगा, उसकी फिर से खोज करनी होगी।
अंबानी ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि जिस तरह टेक्नोलॉजी सेक्टर में स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसी तरह छोटे व मझोले उद्यमियों को फिजिकल स्टार्ट-अप के लिए बढ़ावा देने का यह उपयुक्त समय है। हम जितना ‘क्लिक’ पर विचार कर रहे हैं, उतना ही ‘ब्रिक’ पर भी करना होगा।’
उनका आशय टेक्नोलॉजी के साथ-साथ मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के स्टार्ट-अप्स को भी समान रूप से बढ़ावा देने से था। अमीरी के मामले में दुनियाभर में पांचवां स्थान हासिल कर चुके अंबानी का कहना था कि उनके पिताजी एक शिक्षक के पुत्र थे। वे सिर्फ 1,000 रुपये लेकर पिछली सदी के सातवें दशक में मुंबई आए थे। उनका विश्वास था कि अगर आप भविष्य के लिए निवेश करते हैं, अगर योग्यताओं में निवेश करते हैं तो भारत में ही दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में एक खड़ी कर सकते हैं।
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