RTI के लिए 50 रुपये से ज्यादा शुल्क न वसूलें - सुप्रीम कोर्ट

RTI के लिए 50 रुपये से ज्यादा शुल्क न वसूलें – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक स्वयंसेवी संगठन और एक व्यक्ति की याचिका पर फैसला देते हुए सूचना के अधिकार (आरटीआई)के तहत किसी हाई कोर्ट में प्रार्थनापत्र देने वालों के लिए शुल्क के लिए अधिकतम 50 रुपए की सीमा तय कर दी. अब 50 रुपये से ज्यादा शुल्क नहीं वसूला जा सकेगा.RTI के लिए 50 रुपये से ज्यादा शुल्क न वसूलें - सुप्रीम कोर्ट

उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश एके गोयल, न्यायाधीशआरएफ नरीमन और न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्णय हाईकोर्ट व अन्य प्राधिकरणों जैसे छत्तीसगढ़ विधानसभा सचिवालय आदि के खिलाफ दिया है.स्मरण रहे कि एनजीओ से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूचना मांगने पर 500 रुपये का शुल्क वसूला था.इसी तरह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक व्यक्ति दिनेश कुमार सोनी की विधानसभा सचिवालय में 300 रुपये का आरटीआई शुल्क कम कराए जाने की याचिका को खारिज करते हुए उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया था.

आपको बता दें कि एनजीओ की याचिका में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा  इलाहाबाद हाईकोर्ट को अपने आरटीआई नियमों में सुधार करने के लिए कहा गया था. लेकिन उसके आग्रह को ठुकरा दिया गया था.एनजीओ के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आम आदमी से बहुत ज्यादा शुल्क मांगे जाने को दंड दिए जाने की संज्ञा दी थी. यहां यह बात सभी सरकारी कार्यालयों और प्राधिकरणों को हमेशा याद रखनी चाहिए कि सूचना का अधिकार आम आदमी का अधिकार है, जिसे देने से नहीं रोका जा सकता. आम तौर पर जिन आवेदनों में भ्रष्टाचार की बू आती है , उसके कर्ताधर्ता जानकारी नहीं देने के लिए तरह -तरह के अड़ंगे लगाते हैं, इनमें सरकारी दस्तावजों की दी जाने वाली फोटो कॉपी का शुल्क भी शामिल है.ज्यादा शुल्क का डर दिखाकर आवेदक को हतोत्साहित किया जाता है. क्या आशा करें कि देश की शीर्ष अदालत का यह फैसला सभी सरकारी दफ्तर आसानी से मानेंगे?

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com