कैंसर एक जानलेवा और खतरनाक रोग है और इसके कई रूप होते हैं। आज के समय में ज्यादातर कैंसर का इलाज ढूंढ लिया गया है मगर इसका खर्च और इससे होने वाली परेशानी बहुत ज्यादा होती है इसलिए इससे बचाव जरूरी है। गलत जीवनशैली और खानपान आपकी किडनी को बुरी तरह प्रभावित करते हैं, जिसके कारण किडनी ठीक से खून फिल्टर नहीं कर पाती है। खून जब ठीक से फिल्टर नहीं होता तो खून में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ और जहरीले तत्व इकट्ठा होकर किडनी और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।
किडनी या गुर्दे रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन के आकार के दो अंग होते। शरीर के रक्त का बड़ा हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त को छानकर शुद्ध करती हैं। आपकी रोजमर्रा की कुछ आदतें किडनी के कैंसर का कारण बनती हैं। इसलिए इन आदतों को तुरंत बदल दीजिए ताकि इस गंभीर रोग से बच सकें।
धूम्रपान की लत
अगर आप धूम्रपान करते हैं तो किडनी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान करने वालों में औसतन 50 प्रतिशत किडनी कैंसर होने का खतरा होता है। लेकिन अगर आपके धूम्रपान की लत बढ़ती जा रही है तो यह प्रतिशत बढ़ भी सकता है। जो लोग दिन भर में 20 सिगरेट पीते हैं उनमें किडनी कैंसर की संभावना धूम्रपान नहीं करने वालों से दुगनी होती है।
एल्कोहल का सेवन
एल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में किडनी कैंसर की समस्या हो सकती है। एल्कोहल की लत से किडनी की सेहत पर विपरीत असर होता है जिससे किडनी कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। एल्कोहल ना पीने वाले लोगों में एल्कोहल पीने वाले लोगों की अपेक्षा किडनी कैंसर का खतरा कम होता है।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर से किडनी की समस्या भी हो सकती हैं क्योंकि किडनी हमारे शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालता है। हाई बल्ड प्रेशर के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी या मोटी हो जाती हैं। इस कारण से किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है और खून में दूषित पदार्थ जमा होने लगते हैं और किडनी कैंसर के लक्षण दिखायी देने लगते हैं।
मोटापा कंट्रोल न करना
पैन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में किडनी रोगों के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में इसकी वजह मोटापा पाया गया है। कई लोग शरीर से मोटे नहीं होते हैं लेकिन उनका पेट निकला हुआ होता है। मोटापे की वजह से किडनी कैंसर का खतरा लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज का सबसे बड़ा कारण यही पेट का मोटापा है। दरअसल किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65 प्रतिशत डैमेज हो चुकी होती है। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
डायबिटीज
डायबिटीज भी किडनी फेल होने का एक प्रमुख कारण है। डायबिटीज के 30 से 40 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होती है। इनमें से 50 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से इस बीमारी का पता चलता है और फिर उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज किसी भी इलाज से पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती। अंतिम अवस्था में किडनी की बीमारियों का उपचार केवल डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण से ही संभव है।